हरिद्वार। हरिद्वार में एकबार फिर से गंगाबंदी होने जा रही है।10 दिन के इस क्लोजर में कुंभ के गंगा से जुड़े विभिन्न काम कुंभ मेला अधिष्ठान कराएगा।इसके लिए 22 मार्च से 02 अप्रैल तक गंगनहर फिर से बंद रखी जाएगी।वही एसडीओ, गंगनहर हैडवर्क्स उप्र ,की माने तो अभी तो प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है। गंगा बन्दी होगी या नहीं यह तो उत्तर -प्रदेश सरकार की मनसा पर निर्भर करता है।
हरिद्वार में प्रतिवर्ष दशहरे से दीपावली के बीच गंगनहर का वार्षिक क्लोजर होता है।इस दौरान उप्र सिंचाई विभाग द्वारा गंगा में समतलीकरण सहित नहरों,डैमों के रखरखाव के काम कराए जाते हैं।कुंभ-अर्द्धकुंभ को छोड़कर इसके अतिरिक्त कभी गंगाबंदी नहीं होती।इसबार कुंभ विकास कार्यों के लिए 10 दिनों के लिए अतिरिक्त गंगाबंदी की जा रही है। 22-23 मार्च की मध्यरात्रि से 01-02 अप्रैल की मध्यरात्रि तक गंगाबंदी के लिए कुंभ मेला प्रशासन के आग्रह पर गंगनहर बंदी अनुरोध उत्तरप्रदेश सरकार को भेजा गया है।इस दौरान होने वाली गंगाबंदी में घाटों व पुलों के निर्माण से जुड़े कुंभ के कार्य कराए जाएंगे।नमामि गंगे के भी कार्य गंगनहर की इस बंदी के दौरान सम्पन्न होंगे।पुलों के गंगा में बनने वाले पिलरों,हाईवे, फ्लाई ओवर्स के गंगा से जुड़े काम भी इस दौरान निपटाए जाएंगे।
मेलाधिकारी दीपक रावत की माने तो इस दौरान हरकीपौड़ी पर विवादित गंगा मंदिर (मानसिंह की छतरी ) का कार्य भी प्रारम्भ हो जायेगा ,चुकी वह लम्बा कार्य है फिर भी उसका कार्य शुरू करा दिया जायेगा। जिससे की निचे कार्य हो जय और ऊपर का कार्य चलता रहेगा। रावत के अनुसार गंगा क्लोजर के दौरान लगभग 4 या 5 निर्माणधीन पोलो का कार्य होना है। बाकि ऊपर के कार्य समय से पूर्ब पुरे कर लिए जायेंगे।
वही एसडीओ, गंगनहर हैडवर्क्स उप्र ,विक्रांत सैनी की माने तो कुंभ मेला प्रशासन द्वारा कुंभ से संबधित कार्यों के लिए गंगा क्लोजर की मांग की गई है।गंगासभा से विचार-विमर्श कर आगामी 22-23 मार्च की मध्यरात्रि से 01-02 अप्रैल की मध्यरात्रि तक गंगाबंदी के लिए प्रस्ताव मुख्यालय भेज दिया गया है। मानना या ना मानना उत्तर प्रदेश सरकार पर निर्भर करता है। सैनी का मानना है कि कुम्भ आस्था का केंद्र है और उसकी महतत्वता सरकार भी समझती है ,इसलिए संभव है कि गंगा क्लोजर होना चाहिए। जिससे की साथै कार्य कुम्भ पर्व के कराये जा सके।
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