नई दिल्ली। राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को दिल्ली हिंसा के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग को लेकर विपक्ष के हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही 11 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी। यह पांचवा दिन है, जब उच्च सदन की कार्यवाही विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच नहीं हो सकी।
विपक्षी सदस्यों ने इस तथ्य को जानने के बाद भी हंगामा जारी रखा कि होली के बाद इस मुद्दे पर सदन में चर्चा कराई जाएगी। जैसे ही सदन की कार्यवाही सुबह शुरू हुई, नायडू ने आठ मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के बाबत एक बयान पढ़ा, जिसमें उन्होंने महिलाओं की विभिन्न क्षेत्रों में भूमिकाओं की सराहना की। उन्होंने कहा कि आठ मार्च को अवकाश है, इसलिए वह आज इस बारे में बोल रहे हैं। सभापति ने यह भी कहा कि मीडिया को कोरोनावायरस पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन द्वारा दिए गए बयान को महत्व देना चाहिए था, क्योंकि यह लोगों के लिए चिंता का कारण है। उन्होंने कहा, “दुर्भाग्यवश मीडिया के एक तबके ने इसपर ध्यान नहीं दिया।” उसके बाद उन्होंने शून्यकाल को शुरू करवाने की कोशिश की, लेकिन विपक्षी सदस्य अपनी मांगों को लेकर उनके सीट के पास आ गए और अपनी मांग के समर्थन में नारे लगाने लगे। नायडू ने भाजपा सदस्य कैलाश सोनी को बोलने के लिए कहा, जिसके बाद कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के सांसद सभापति के पोडियम के समीप आ गए और नारा लगाना शुरू कर दिया। सभापति ने हंगामा कर रहे सदस्यों को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर वे अपने सीटों पर वापस नहीं जाएंगे तो उनका नाम लिया जाएगा। हालांकि इस चेतावनी का उनपर कोई असर नहीं हुआ और वे नारे लगाते रहे। सभापति ने तब सदन को 11 मार्च को पूर्वाह्न् 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।
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