घंटाघर की प्रदर्शनकारी महिलाओं ने कोरोना वायरस के मद्देनजर देश हित मे स्थगित किया धरना प्रदर्शन…
लखनऊ। सीएए एनपीआर और एनआरसी के खिलाफ जहां पूरे देश में लगातार महिलाओं का धरना प्रदर्शन चल रहा था वही उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी ऐतिहासिक घंटाघर पर पिछले 66 दिनों से उक्त कानून के खिलाफ लगातार महिलाओं का धरना प्रदर्शन जारी था, मगर दुनिया में फैले कोरोना वायरस जैसी भयानक बीमारी का अपने देश भारत में भी पैर पसारने के चलते 66 दिनों से प्रदर्शन कर रही महिलाओं ने देश हित में और कोरोना वायरस जैसी बीमारी से लड़ने के लिए आज 67 वें दिन यानी 23 मार्च 2020 में धरने को स्थगित कर दिया है।
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि नागरिकता संशोधन कानून एनपीआर और एनआरसी के विरोध में पूरे देश में लगातार प्रदर्शन जारी थे और शाहीन बाग में महिलाओं ने ऐसे बिल और कानून के खिलाफ जंग छेड़ी थी, वही लखनऊ के ऐतिहासिक घंटाघर पर भी महिलाओं ने उक्त कानून का पुरजोर विरोध किया जिसमें उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा, कभी पानी, खाना, दवाई जैसी कई तरह की सुविधाओं के भाव में भी धरने को लगातार जारी रखा और पुलिस प्रशासन की सख्ती को भी झेलना पड़ा। मगर अपने इरादों से मजबूत महिलाओं ने किसी भी तरह की परेशानियों से हार ना मानते हुए 66 दिनों तक लगातार प्रदर्शन जारी रखा, पुलिस ने कई बार बल का प्रयोग भी किया और कई तरह से धरने को खत्म करने की कोशिश में कई बार कड़े कदम उठाए और उक्त प्रदर्शन में पुलिस की बर्बरता भी सामने आई, फिर भी महिलाएं निडर और जान की परवाह किए बगैर धरने पर बैठी रही।
इस प्रदर्शन के बीच महिलाओं और उनके घर वालों झेलनी पड़ीं सैकड़ो परेशानियां…
लखनऊ का ऐतिहासिक घंटाघर भी महिलाओं के प्रदर्शन से एक बार फिर इतिहास में अपनी जगह बना गया। कड़कड़ाती ठंड, जबरदस्त बारिश और ओलावृष्टि के साथ ही भयंकर गर्मी की मार झेलने के बाद भी महिलाओं के हौसले नहीं टूटे थे, परंतु एक तरह की राष्ट्रीय आपदा कोरोना वायरस के रूप में भारत में प्रवेश कर गई जिसके चलते महिलाओं ने समझदारी और देशभक्ति का परिचय देते हुए लंबे समय से चल रहे इस धरना प्रदर्शन को स्थगित कर देशभक्ति का सबूत तो दिया ही साथ ही पुलिस कमिश्नर लखनऊ को पत्र लिखकर देश हित मे धरना स्थगित करने की बात कही और पुलिस कमिश्नर को लिखे पत्र के ज़रिए सरकार से यह भी कहा कि हम सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर इस भयानक बीमारी से लड़ने और देश को इस आपदा से बचाने के लिए साथ खड़े हैं।
सरकार और पुलिस प्रशासन के लिए चुनौती था प्रदर्शन, मुकदमें और गिरफ्तारियां कर पुलिस ने निकाली थी खुन्नस…
यह धरना प्रदर्शन जहां एक तरफ सरकार और पुलिस प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ था वही न जाने कितने बेकसूर लोगों के खिलाफ अनगिनत मुकदमे भी दर्ज हुए कितने लोगों को जेल की सलाखों के पीछे जाना पड़ा और इस धरने में 3 मासूम जाने भी गई जिसमें दो वृद्ध महिलाएं और एक जवान युवती ने अपने प्राणों की आहुति देकर यानि शहादत में अपना नाम लिखवा कर देश के भविष्य के लिए कुर्बानी दे दी। मगर सरकार का रवैया नहीं बदला और आखिर एक ऐसी आपदा पूरी दुनिया के कई देशों के साथ ही भारत में भी प्रवेश कर गई जिससे भयानक महामारी तक संभावित है, इसी के मद्देनजर महिलाओं ने धरने को समाप्त करने या स्थगित करने का देश हित में फैसला लिया और अपने अपने घर वापस लौट गई।
प्रदर्शन स्थगित होने पर सरकार और पुलिस प्रशासन ने ली राहत की सांस…
वही धरना खत्म होने पर पुलिस प्रशासन और सरकार ने राहत की सांस ली और पुलिस प्रशासन ने महिलाओं को सुरक्षित उनके घर पहुंचाया महिलाओं का कहना था की हम पहले भी देश के आने वाले भविष्य के लिए इस आंदोलन के जरिए लड़ रहे थे और अब कोरोना वायरस जैसी भयानक बीमारी और आपदा से लड़ने के लिए तैयार हैं और हर कदम पर सरकार के साथ हैं इस वक्त किसी भी तरह के कानून से ज्यादा जरूरी है कोरोना वायरस जैसे बीमारी से लड़ने की इसलिए हम अपनी स्वेच्छा से देश हित में इस धरने को स्थगित करते हैं। अगर सरकार ने CAA, NPR और NRC को वापस नहीं लिया तो हम इस कानून और सरकार के खिलाफ फिर से बड़ा आंदोलन और धरना प्रदर्शन शुरू कर देंगे।
जुनैद खान “पठान” की रिपोर्ट…
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