नई दिल्ली। अमेरिका की रटजर्स यूनिवर्सिटी- न्यू ब्रून्सविक के शोधकर्ताओं के आकलन पर आधारित एक अध्ययन में दावा किया गया है कि दोनों देशों के पास मौजूद परमाणु हथियारों का महज एक फीसदी हिस्सा भी 10 करोड़ लोगों की तत्काल जान ले सकता है। इसके अलावा वैश्विक स्तर पर आधुनिक इतिहास के सबसे बड़े खाद्यान्न संकट का कारण बन सकता है। इससे लोगों के खाने के लाले पड़ जाएंगे और करोड़ों लोगों की जान भूख के कारण चली जाएगी। अध्ययन में कहा गया कि दोनों के बीच परमाणु युद्ध के चलते वैश्विक स्तर पर तापमान में गिरावट के अलावा बेहद कम बारिश और सूरज की धूमिल रोशनी जैसे बुरे प्रभाव होगा।
इसका बड़ा असर फसलों के उत्पादन पर पड़ेगा। पहले साल में ही खाद्यान्न उत्पादन 12 फीसदी गिर जाएगा, जो किसी भी ऐतिहासिक सूखे के चलते हुई खाने की कमी से चार गुना ज्यादा बड़ा आंकड़ा होगा। यह असर करीब एक दशक तक पूरे विश्व के खाद्यान्न उत्पादन और व्यापार को प्रभावित करता रहेगा। शोधकर्ताओं का कहना है कि इसका असर 21वीं सदी के आखिर तक मानवजनित जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से कहीं ज्यादा होगा। उनका मानना है कि वैसे तो कृषि उत्पादकता पर वैश्विक तापमान में वृद्धि का व्यापक रूप से अध्ययन किया गया है, लेकिन तापमान में अचानक गिरावट के वैश्विक फसल वृद्धि पर प्रभाव की जानकारी फिलहाल बेहद कम स्तर पर है। इस अध्ययन में अपना योगदान देने वाले प्रोफेसर एलेन रोबोक ने कहा कि हमारे नतीजे से इस वजह को बल मिलता है कि परमाणु हथियारों का अवश्य ही सफाया किया जाना चाहिए, क्योंकि यदि वे बने रहे तो उनका इस्तेमाल किया जा सकता है और दुनिया के लिए इसके परिणाम त्रासद हो सकते हैं।
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