बड़ा अजीब असमंजस है , कांग्रेस के बागी विधायकों की बात उनके नेताओं के वक्तव्यों से मेल नहीं खा रही । उधर भाजपा में बस करो महाराज कहने वाले शिवराज साफ़ कह रहे है अब महाराज और शिवराज साथ। इस बात के भी दो मायने है, महाराज और शिवराज भोपाल में एक साथ या दिल्ली में एक साथ। बातें तो बातें है बातों क्या ? वैसे ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव क्षेत्र के वे अफसर बदल दिए गये हैं जिन्हें उनकी सिफारिश पर पदस्थ किया गया था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने दावा कर रहे कि मध्य प्रदेश में २२ बागी विधायकों में से १३ ने उन्हें आश्वस्त किया है कि ‘वे कांग्रेस छोड़कर नहीं जा रहे हैं।' साथ दिग्विजय सिंह को मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार के विश्वास मत जीतने का भरोसा है। दिग्विजय अब नया नारा लाये हैं “‘हम चुप नहीं रहे, हम सो नहीं रहे हैं।
सकंटग्रस्त कांग्रेस सरकार को बचाने के प्रयासों के तहत अपने विधायकों को एकजुट रखने के लिए राजस्थान की राजधानी जयपुर भेज चुकी है|कल मुख्यमंत्री निवास पर जमा होने के बाद कांग्रेस के विधायक तीन बसों में भोपाल के हवाई अड्डे पर पहुंचे और बाद में विशेष विमान से जयपुर के लिए रवाना हो गए|मुख्यमंत्री कमलनाथ के विश्वासपात्र मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा है कि हम अपने विधायकों के साथ जयपुर जा रहे हैं| जयपुर के बाद वे खुद बेंगलुरु भी जायेंगे और वहां ठहरे हुए कांग्रेस के विधायकों से बात करेंगे| उन्होंने दावा किया कि इन विधायकों को गुमराह करके बेंगलुरु ले जाया गया है और इनसे त्यागपत्र लिए गए हैं| सच क्या है कोई बताने को तैयार नहीं |कांग्रेस सूत्रों के अनुसार पार्टी के विधायकों के साथ सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायक भी जयपुर रवाना हुए हैं| हालांकि कांग्रेस सरकार के कुछ वरिष्ठ मंत्री और विधायक रणनीति बनाने के लिए भोपाल में ही डेरा डाले हुए हैं |
एक मंत्री प्रियव्रत सिंह ने कहा, ‘‘वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में उत्पन्न हुए तनाव को दूर करने के लिए कांग्रेस के सभी विधायक एक साथ जयपुर घूमने जा रहे है|:हवाई अड्डे पर 95 विधायक हैं और हम अपना बहुमत साबित करेंगे.' उन्होंने निर्दलीय, बसपा और सपा विधायकों का भी सरकार को समर्थन हासिल होने का दावा किया| इससे इतर भाजपा का दावा है। सिंह ने कहा कि इनमें से १० से १२ विधायक शक्ति परीक्षण के दौरान कांग्रेस को समर्थन करेंगे क्योंकि इन्हें गुमराह करके वहां ले जाया गया है। यह एक बड़ा सवाल है कैसे और क्यों ? कांग्रेस ने विधायकों को जयपुर भेजने का कदम सिंधिया और उनके 21 समर्थकों के कांग्रेस से त्यागपत्र देने के बाद उठाया है। सिंधिया समर्थक विधायकों के इस्तीफे से पुरानी कमलनाथ सरकार गिरने की कगार पर आ गई है। अब कांग्रेस कमलनाथ सरकार को बचाने के लिए सभी संभव प्रयास कर रही है। जिसमें अंतिम अस्त्र के रूप में मध्यावधि चुनाव की सिफारिश भी है ।
दूसरी ओर भाजपा ने भी अपने विधायकों को एकजुट रखने के लिए भोपाल में विधायक दल की बैठक के तुरंत बाद रात को ही विशेष विमान से भोपाल से रवाना कर हरियाणा के मानेसर भेज दिया है| सही संख्या वे भी नहीं बता रहे हैं |
यही संख्या बल राज्यसभा चुनाव के लिए महत्वपूर्ण है|
२२८ /(३+१ )=५७ +१ =५८ वोट चाहिए १ राज्यसभा सीट जीतने के लिए|
वर्तमान में भाजपा का दावा १०७ विधायक का है|
कांग्रेस के पास कल ११४ थे, आज १९ विधायकों ने इस्तीफा दे दिया तो अब कांग्रेस के पास ९५ विधायक बचे!
कांग्रेस की विधायक दल की बैठक में ८८ कांग्रेस के विधायक और ४ निर्दलीय विधायक शामिल हुए।
कांग्रेस के 19 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है तो मध्यप्रदेश में कुल विधायकों की संख्या होगी (२२८ -१९ )२०९ |
तय प्रक्रिया के अनुसार अब २०९ /(३+१ )=५२.२५+१ =५३ वोट एक राज्यसभा सीट जीतने के लिए चाहिए | भाजपा
इस गणित के अनुसार दो सीटों पर जीत मान रही है | कांग्रेस के पास ९५ विधायक हैं, उसके खाते में एक सीट
आती नजर आ रही है और सरकार......!
राकेश दुबे
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