उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव 2020 में इस बार बदल जाएगे ग्राम पंचायत का आरक्षण
लखनऊ। उत्तर-प्रदेश पंचायत चुनाव 2020 पर सभी की निगाहें जमी हुई हैं। पंचायत चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई है। चुनाव आयोग मतदाता सूची का पुनरीक्षण अभियान शुरू करने जा रहा है। साथ ही ऐसी उम्मीद है कि नए निर्धारण से उत्तर प्रदेश में पंचायतों के आरक्षण की स्थिति पूरी तरह बदल जाएगी। पंचायत चुनाव 2015 में हुए चुनाव में जो पंचायत जिस जिस वर्ग के लिए आरक्षित हुई थी, इस बार वह उस वर्ग के लिए आरक्षित नहीं होगी। उत्तर प्रदेश में कुल 59,163 ग्राम पंचायतें हैं, प्रदेश में 16 करोड़ लोग गांव में रहते हैं। 14वें वित्त, मनरेगा और स्वच्छ भारत मिशन के वार्षिक औसत निकाला जाए तो एक पंचायत को 20 लाख से 30 लाख रुपए मिलते हैं। चक्रानुक्रम से पंचायत का आरक्षण परिवर्तित हो जाएगा। मान लीजिए कि अगर इस वक्त किसी ग्राम पंचायत का प्रधान अनुसूचित जाति वर्ग से है तो अब इस बार के चुनाव में उस ग्राम पंचायत का प्रधान पद ओबीसी के लिए आरक्षित हो सकता है। उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव 2020 के लिए नए चक्रानुक्रम के अनुसार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जाति महिला, अनारक्षित, महिला, अन्य पिछड़ा वर्ग, अन्य पिछड़ा वर्ग महिला, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जनजाति महिला के वर्गों में नए सिरे से आरक्षण तय किया जाएगा। प्रदेश का पंचायती राज विभाग आरक्षण में बदलाव की यह कवायद जुलाई-अगस्त में पूरी करेगा क्योंकि नए आरक्षण का निर्धारण चुनाव से तीन महीने पहले किया जाता है। उत्तर प्रदेश निर्वाचन आयोग अपर निर्वाचन आयुक्त वेद प्रकाश वर्मा ने बताया कि मार्च से पंचायतों की वोटर लिस्ट का वृहद पुनरीक्षण अभियान शुरू करने की तैयारी है। नगर विकास विभाग से शहरी क्षेत्र में शामिल की गई पंचायतों के ब्योरे का इंतजार है। यह अभियान 30 जून तक चलेगा।
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