शनिवार, 15 फ़रवरी 2020

शांतिपूर्वक धरना देशद्रोह नहींः हाई कोर्ट

औरंगाबाद (एजेंसी)। बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने गुरुवार को सीएए के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे लोगों को लेकर टिप्पणी की कि श्उन्हें सिर्फ इसलिए गद्दार और देशद्रोही नहीं कहा जा सकता क्योंकि वे एक कानून का विरोध करना चाहते हैं।श् बेंच ने सीएए के खिलाफ आंदोलन के लिए पुलिस द्वारा अनुमति न दिए जाने के खिलाफ डाली गई याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही।बेंच ने कहा, श्इस तरह के आंदोलन से सीएए के प्रावधानों की अवहेलना का कोई सवाल नहीं पैदा होता। कोर्ट से ऐसे व्यक्तियों के शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन शुरू करने के अधिकार पर विचार करने की अपेक्षा की जाती है।श् पीठ ने कहा कि क्योंकि वे एक कानून का विरोध करना चाहते हैं, सिर्फ इसलिए उन्हें देशद्रोही और गद्दार नहीं कहा जा सकता। सीएए की वजह से यह सरकार के खिलाफ सिर्फ एक विरोध प्रदर्शन होगा।बेंच ने बीड जिले के अडिशनल डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट (एडीएम) और मजलगांव सिटी पुलिस द्वारा दिए गए दो आदेशों को रद्द कर दिया। पुलिस ने विरोध प्रदर्शन की अनुमति देने से इनकार करने के आधार के रूप में एडीएम के आदेश का हवाला दिया था। बेंच ने कहा, श्भारत को आजादी उन आंदोलनों के कारण मिली जो अहिंसक थे और अहिंसा का यह मार्ग आज तक इस देश के लोगों द्वारा अपनाया जाता है। हम भाग्यशाली हैं कि इस देश के अधिकांश लोग अभी भी अहिंसा में विश्वास करते हैं।श्बेंच ने कहा, श्इस मामले में भी याचिकाकर्ता और उनके साथी अपना विरोध दर्ज कराने के लिए शांतिपूर्ण तरीके से प्रोटेस्ट करना चाहते हैं।श् बेंच ने आगे कहा कि ब्रिटिश काल में हमारे पूर्वजों ने स्वतंत्रता और मानव अधिकारों के लिए भी संघर्ष किया था और उस आंदोलन के पीछे पीछे की फिलॉसफी से ही हमने हमने अपना संविधान बनाया। यह कहा जा सकता है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन लोग अपनी ही सरकार के खिलाफ आंदोलन कर सकते हैं और केवल इस आधार पर उनके आंदोलन को दबाया नहीं जा सकता।


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