आकाशुं उपाध्याय
नई दिल्ली। रेलवे के तमाम कांट्रेक्टर्स/सप्लायर्स पिछले कुछ महीनों से अत्यधिक परेशान हैं, क्योंकि पिछले कुछ महीनों से उनके बिलों का भुगतान रेल प्रशासन द्वारा नहीं किया जा रहा है। इससे कांट्रेक्टर और सप्लायर न तो अपनी देनदारी चुका पा रहे हैं और न ही अपने कर्मचारियों के वेतन का भुगतान कर पा रहे हैं।
कई कांट्रेक्टरों और सप्लायरों ने कानाफूसी.कॉम को फोन करके अपनी आपबीती सुनाई। उनका कहना था कि कई महीनों से उनके फाइनल बिलों का भुगतान रेलवे ने नहीं किया है। एक सप्लायर ने यह भी कहा कि उसने पिछले साल जुलाई में कुछ मेडिकल इंस्ट्रूमेंट्स की सप्लाई का अपना करीब 35-36 लाख का बिल पश्चिम रेलवे को सब्मिट किया था, जिसका भुगतान आज तक नहीं किया गया है। उक्त सप्लायर का यह भी कहना था कि इतने लंबे समय तक बिल रोककर रखा जाता है, तब भी उस पर रेलवे द्वारा कोई व्याज नहीं दिया जाता है।
उल्लेखनीय है कि प्रत्येक टेंडर या सप्लाई ऑर्डर जारी करने से पहले ही निर्धारित मात्रा में संबंधित अधिकारियों द्वारा अपना कमीशन कांट्रेक्टर या सप्लायर से एडवांस में ले लिया जाता है। तथापि समय पर बिल भुगतान की जिम्मेदारी कोई अधिकारी नहीं लेता है। यही स्थिति टेंडर जारी करने वाले विभाग से लेकर लेखा विभाग तक समान रूप से लागू है। रेल अधिकारियों का सिर्फ एक ही जवाब है कि फंड नहीं है।
उन्होंने बताया कि अब यह हालत है कि कोई अधिकारी काम करने के लिए भी दबाव नहीं बना रहा है, इसके चलते रेलवे के लगभग सभी काम ठप पड़ गए हैं। कांट्रेक्टर्स का यह भी कहना है कि जो काम पूरे हो जाते हैं, और जिनका फाइनल बिल सब्मिट हो जाता है अथवा फाइनल भुगतान भी हो जाता है, उन कार्यों के लिए जमा कराई गई ईएमडी, सिक्योरिटी डिपॉजिट और बैंक गारंटी भी रेलवे द्वारा समय से नहीं लौटाई जाती है। इन्हें लौटाने में भी सालों लगा दिए जाते हैं। यही नहीं, यह वापस लेने के लिए भी कांट्रेक्टर्स और सप्लायर्स को अलग से दस्तूरी देनी पड़ती है।
मुंबई सेंट्रल डिवीजन, पश्चिम रेलवे के तमाम कांट्रेक्टर्स और सप्लायर्स ने 31 जनवरी को बाकायदा एक पत्र लिखकर मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) को वर्क एक्जीक्यूशन में आने वाली परेशानियों और लंबे समय से बिलों का भुगतान न होने से अवगत कराया है।
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