मंगलवार, 18 फ़रवरी 2020

फेलः शिक्षकों की हड़ताल का बड़ा असर

पटना। बिहार में नियोजित शिक्षक 17 फरवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। नियोजित शिक्षकों ने स्कूल में पठन-पाठन कार्य के साथ ही मैट्रिक परीक्षा का भी बहिष्कार कर दिया है। हालांकि बिहार सरकार नियोजित शिक्षकों के हड़ताल को विफल कराने में जुटी है। सरकार का दावा है की शिक्षकों के हड़ताल से कोई प्रभाव नहीं पड़ा है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है. सरकार का पत्र हीं दावे को झुठला रहा है। मधेपुरा के मध्यान्ह भोजन योजना कार्यालय के पत्र ने सरकार के दावे की पोल खोल कर रख दी है। मधेपुरा मध्यान भोजन योजना समिति ने एमडीएम बनाने वाली कंपनी को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि इस जिले के कुल 74 विद्यालयों को इस एजेंसी के द्वारा पका-पकाया खाना आपूर्ति कराया जा रहा है। 17 फरवरी 2020 को 25 विद्यालयों के द्वारा खाना प्राप्त किया गया एवं 49 विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति नहीं होने एवं विद्यालय के शिक्षकों के हड़ताल पर रहने के कारण भोजन विद्यालय से लौटा दिया गया है ,जिससे काफी मात्रा में भोजन बर्बाद हो गया। हड़ताल अवधि तक संबंधित प्रखंड के प्रखंड साधन सेवियों का दायित्व होगा कि वे अपने स्तर से एजेंसी से संबंध स्थापित कर भोजन पकाने से पूर्व अपने प्रखंड के विद्यालयों की संख्या एवं नाम से उनको अवगत कराना सुनिश्चित करें। प्रधानाध्यापक 1 दिन पूर्व अनुमान के आधार पर भोजन की आवश्यकता प्रखंड साधन सेवी को सूचित करना सुनिश्चित करेंगे।


बता दें कि बिहार के नियोजित शिक्षक समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग को लेकर 17 फऱवरी से हड़ताल पर चले गए हैं। बिहार सरकार ने हड़ताली शिक्षकों पर कार्रवाई का आदेश दिया है। आँदोलनकारी शिक्षकों को बर्खास्त करने का भी आदेश जारी किया गया है। बावजूद इसके नियोजित शिक्षक संघ पीछे हटने को तैयार नहीं है। शिक्षक संघों का दावा है कि हड़ताल पूरी तरह से सफळ है और करीब 75 हजार विद्यालयों  में पठन-पाठन पूरी तरह से बाधित है।


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