चंडीगढ़ः पीजी में लगी भीषण आग, तीन लड़कियों की जलकर मौत, दो ने छलांग लगा बचाई जान
अमित शर्मा
चंडीगढ़। दो छात्राओं ने पहली मंजिल से पड़ोसी के घर में कूदकर बचाई जान, संचालक गिरफ्तार।शनिवार शाम 4 बजे हुआ हादसा, दमकल की पांच गाड़ियों ने दो घंटे में पाया आग पर काबू। हादसे के समय पीजी में मौजूद थी 25 छात्राएं, शोर मचने पर 20 ने भागकर बचाई जान।लैपटॉप को चार्ज करते समय शॉर्ट सर्किट से शनिवार शाम करीब चार बजे सेक्टर-32डी के एक गर्ल्स पीजी में आग लग गई। अवैध रूप से संचालित इस पीजी में कुल 30 कमरे बने हुए हैं। आग एक कमरे में लगी और तेजी से फैल गई। धुएं से पीजी में मौजूद छात्राओं का दम घुटने लगा। हादसे के समय करीब 25 छात्राएं पीजी में मौजूद थीं। शोर मचते ही इनमें से 20 निकलने में कामयाब हो गईं, जबकि पांच छात्राएं धुएं और आग में फंस गईं।
दम घुटने और झुलसने से इनमें से तीन की मौत हो गई जबकि दो छात्राओं ने बिल्डिंग की पहली मंजिल से छलांग लगाकर अपनी जान बचाई। आग ने इतना विकराल रूप ले लिया कि पीजी की पहली मंजिल जलकर पूरी तरह राख हो गई। सूचना पर पहुंचीं दमकल की पांच गाड़ियों ने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर करीब दो घंटे बाद काबू पाया
हादसे में हिसार के लक्ष्मी नगर निवासी मुस्कान (21) की झुलसने जबकि कोटकपूरा (पंजाब) के सत्य बाजार निवासी पाक्षी ग्रोवर (20) और कपूरथला (पंजाब) निवासी रिया अरोड़ा (19) की धुएं में दम घुटने से मौत हो गई। गनीमत रही कि हादसे के वक्त पीजी में ज्यादा लड़कियां नहीं थीं, अगर हादसा रात में या सुबह में होता तो बड़ा हादसा हो सकता था।
वहीं, पीजी के मेन गेट के पास पीएनजी लाइनें बिछी हुई हैं अगर समय रहते इसे बंद न करवाया गया होता तब भी बड़ा हादसा हो सकता था। सेक्टर-34 थाना पुलिस ने कोठी मालिक गौरव अनेजा और पीजी संचालक नीतेश बंसल व नीतेश पोपली के खिलाफ मामला दर्जकर नीतेश बंसल को गिरफ्तार कर लिया है।
सेक्टर-32डी स्थित कोठी नंबर-3325 में पिछले डेढ़ साल से अवैध रूप से गर्ल्स पीजी चलाया जा रहा था। इस पीजी में करीब 30 से ज्यादा कमरे हैं। शनिवार को ज्यादातर छात्राएं पीजी से बाहर थीं। शाम चार बजे अचानक पीजी के एक कमरे से धुआं निकलने लगा। महिला केयर टेकर बब्बू ने आग भड़कते देख शोर मचा दिया।
इसके बाद करीब 20 छात्राएं पीजी से निकलने में कामयाब हो गईं जबकि पांच छात्राएं फेमिना, जैसमीन, मुस्कान, रिया और पाक्षी अंदर ही फंस गईं। किसी तरह फेमिना और जैसमीन ने कुर्सी के सहारे पहली मंजिल से पड़ोसी के घर में छलांग लगाकर जान बचाई जबकि मुस्कान, रिया और पाक्षी अंदर ही फंस गईं। सूचना पर पहुंची फायर ब्रिगेड की टीम ने किसी तरह से तीनों को बाहर निकालकर जीएमसीएच-32 पहुंचाया। जहां डॉक्टरों ने तीनों को मृत घोषित कर दिया।
एसडी कॉलेज में पढ़ती थीं पाक्षी और मुस्कान
पाक्षी अरोड़ा सेक्टर-32 स्थित एसडी कॉलेज में बीबीए की छात्रा थी जबकि रिया अरोड़ा सेक्टर-31 स्थित एक इंस्टीट्यूट में फ्रेंच भाषा की कोचिंग ले रही थी। वहीं मुस्कान भी एसडी कॉलेज से एमकॉम की छात्रा थी। हादसे के बाद तीनों का परिवार सदमे है। तीनों के शव को जीएमसीएच-32 के मोर्चरी में रखवा दिए गए हैं। रविवार को पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया जाएगा। स्थानीय लोगों ने पीजी बंद कराने को दी थी शिकायत:
इलाके के लोगों ने बताया कि अगस्त 2018 से अवैध तरीके से पीजी का संचालन किया जा रहा था। पीजी में 34 छात्राएं रहती हैं। कोठी का मालिक गौरव अनेजा है, जिसने अपनी कोठी को नीतेश बंसल नामक व्यक्ति को किराए पर दिया है, जो पीजी चला रहा है। अवैध तरीके से चलने वाले पीजी को बंद करवाने के लिए कई बार स्थानीय लोगों ने शिकायतें भी दी हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। हादसे की जांच के आदेश, एडवाइजर ने डीसी की अध्यक्षता में बनाई कमेटी
सेक्टर-32डी के गर्ल्स पीजी में आग लगने की घटना ने चंडीगढ़ प्रशासन की ‘स्मार्टनेस’ की पोल खोलकर रख दी है। हादसे के बाद एडवाइजर मनोज परिदा ने पूरे मामले की जांच की जिम्मेदारी डीसी मंदीप सिंह बराड़ को सौंप दी है। साथ ही जांच की रिपोर्ट जल्द से जल्द सौंपने के आदेश दिए हैं। हालांकि एडवाइजर की तरफ से इस जांच के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की गई है।
एडवाइजर ने हादसे के तत्काल बाद पूरे मामले के बारे में डीसी से जानकारी ली। उधर, डीसी मंदीप सिंह बराड़ सेक्टर-32 स्थित मेडिकल कॉलेज और उसके बाद पीजीआई पहुंचे और एडवाइजर को पूरे मामले से अवगत कराया। एडवाइजर ने डीसी की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाकर मामले के जांच के निर्देश दिए हैं। एडवाइजर ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि दोषियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्जकर कार्रवाई की जाए। एडवाइजर ने बताया कि मामले में धारा 336, 304, 188, 34 आईपीएस के तहत एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। साथ ही आग लगने की के बाद सभी अधिकारियों को भी मौके पर जाने के निर्देश दिए गए हैं। प्रशासन के अधिकारी भी पीड़ित परिवारों के संपर्क में हैं।
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