सुपोषण वाटिका की ताजी सब्जियां कर रही पोषण ऊर्जा का संचार
परिषदीय विद्यालयों में शिक्षक व छात्रों के संयुक्त प्रयास से जैविक तरीके से उगाई जा रही शुद्ध व ताजी सब्जियांं
जरवलरोड, (बहराइच)। परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को पढ़ाई के साथ साथ मिलने वाले मिड डे मील के लिए ताजी सब्जियों की कमी दूर करने हेतु स्कूल में पोषण वाटिका विकसित करने की बेसिक शिक्षा विभाग की योजना धरातल पर उतरने लगी है। जिले के 3453 परिषदीय विद्यालयों में बच्चों को रोजाना मिड-डे मील परोसा जाता है, अक्सर निरीक्षण के दौरान खाने में ताजी सब्जियां नहीं पाई जाती थी जिसके पीछे मुख्य वजह सुबह खाना बनाते समय बाजार से ताजी सब्जियों की उपलब्धता रसोई तक नही हो पाना रहती थी। विभागीय निर्देशानुसार प्रत्येक विद्यालय परिसर में व स्कूल की छतों पर, गमलों, जूट के बैग आदि में मौसमी फल व सब्जियां उगाये जाने के निर्देश हुए जिस पर अमल भी शुरू हुआ। जिले के विभिन्न विकास खंडों में पोषण वाटिका में तैयार सब्जियां की खुशबू रसोई में आनी शुरू हो गयी है। स्कूलों में शिक्षक- छात्रों के संयुक्त प्रयास से आलू, टमाटर, गोभी, लौकी, हरी मिर्च, हरा धनिया, मूली, पालक, भिंडी, बैंगन आदि उगाए जा रहे हैं। मौसम व मेन्यू के हिसाब से शिक्षक सब्जी का चयन करते हैं। पोषण वाटिका की देखरेख में छात्रों का सहयोग लिया जाता है। जरवल विकास खण्ड के प्राथमिक विद्यालय धनराजपुर में शिक्षिकाओ, बच्चों तथा रसोइयों की मदद से ताजी मौसमी सब्जियां उगाई जा रही हैं जिनका रोजाना बनने वाले मिड डे मील के लिए मेन्यू के अनुसार प्रयोग किया जाता है। अब दोपहर की थाली में ताजी सब्जियों से बच्चों को न सिर्फ आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं बल्कि स्कूल की पोषण वाटिका में की गयी मेहनत से उनमें स्वावलम्बन की भावना का भी विकास हो रहा है। “बाजार से नही खरीदते सब्जी”-सोमिता राज, प्रभारी प्रधानाध्यापिका, प्रा० वि०-धनराजपुर। “स्कूल में बनने वाले भोजन के लिए प्रयास होता है कि बाजार से सब्जी न खरीदनी पड़े। हम बच्चों की सेहत को ध्यान में रखकर पूर्णत: जैविक विधि से सब्जियां उगाते हैं। इन सब्जियों में रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक का प्रयोग कतई नहीं किया जाता है।
कैलाश नाथ राना की रिपोर्ट
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