नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने जीत की हैटट्रिक लगाई है। इस जीत के साथ आम आदमी पार्टी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने देश की दूसरी पार्टियों को संदेश दिया है। इस प्रचंड जीत में कई वजह हैं, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि बीजेपी जैसी हैवी वेट पार्टी से चुनौती लेने में हनुमान जी ने केजरीवाल के लिए काफी हद तक राह आसान कर दी थी। पहली नजर में यह बात थोड़ी अटपटी लग सकती है, लेकिन पूरे चुनाव प्रचार का विश्लेषण करें तो चीजें ज्यादा स्पष्ट समझ में आती है। आम आदमी पार्टी ने प्रचार की शुरुआत पांच साल किए गए कामों के बखान के साथ शुरू की थी। वहीं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अगुवाई में बीजेपी राष्ट्रवाद, हिंदुत्व जैसे पारंपरिक मुद्दों को केंद्र में रखकर मैदान में उतरी। इन दोनों एजेंडे से जनता को जोड़ने के लिए बीजेपी ने शाहीन बाग जैसे तात्कालिक मुद्दे को पूरी तरीके से उछाला। बीजेपी के पूरे प्रचार में यह बताने की कोशिश की गई कि अगर आप दोबारा सत्ता में आई तो दिल्ली में फिर से मुगल काल आ जाएगा। इसलिए हिंदुओं को एकजुट होकर बीजेपी को वोट देना चाहिए ताकी राम राज्य स्थापित हो सके। बीजेपी की इस रणनीति से निपटने के लिए सीएम केजरीवाल हनुमान जी की शरण में पहुंच गए। दरअसल, रामचरित मानस जैसे पवित्र धर्म ग्रंथ में कहा गया है कि हनुमान जी भगवान श्रीराम के सबसे बड़े भक्त रहे। इस धर्म ग्रंथ में कई मौकों पर कहा गया है कि भगवान राम ने खुद कहा था कि वह अपने परम भक्त हनुमान की भक्ति करने वालों का सदैव साथ देंगे। इन बातों का हिंदू धर्म में गहरा प्रभाव है। शायद इसलिए सीएम केजरीवाल ने खुद को राम भक्त कहने वाले बीजेपी नेताओं से टक्कर लेने के लिए पूरे चुनाव प्रचार में हुनमान जी के नाम का सहारा लिया। कनॉट प्लेस वाले हनुमान मंदिर ने काफी कुछ बदल गया
बीजेपी लगातार प्रचार के दौरान आप को मुस्लिम हितैषी बताने की कोशिश कर रही थी। हालिया चुनाव परिणाम पर नजर डालें तो साफ है कि बीजेपी जब-जब सामने वाली पार्टी को मुस्लिम हितैषी स्थापित करने की कोशिश की तब तब उन्हें इसका फायदा मिलता रहा है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी यह स्थापित करने में सफल रही थी कि कांग्रेस मुस्लिमों का पक्ष लेने वाली पार्टी है। यह बात खुद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एके एंटेनी अपनी समीक्षा रिपोर्ट में स्वीकार चुके हैं। एंटेनी की रिपोर्ट से भले ही कांग्रेस सबक नहीं ले पाई लेकिन शायद यह केजरीवाल के काम आ गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जैसे बड़े नेताओं के आरोपों से पार पाने के लिए सीएम केजरीवाल जनसभाओं में हनुमान चालीसा का पाठ करते हुए देखे गए। बीजेपी जब उनपर आक्रामक होती तो वह कनॉट प्लेस के प्रसिद्ध हनुमान मंदिर में जाते रहे। हनुमान मंदिर की इस यात्रा से केजरीवाल साफ संकेत दे रहे थे कि वे सॉफ्ट हिंदुत्व के एजेंडे पर काम कर रहे हैं। बीजेपी जहां बार-बार शाहीन बाग और वहां बिरयानी की बात कर रही थी, वहीं सीएम केजरीवाल इस पर कोई भी ठोस बयान देने से बचते रहे। चुनाव प्रचार के दौरान ही जब अध्योध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का ऐलान हुआ तो केजरीवाल ने कहा कि अच्छे कामों के लिए कोई समय नहीं होता है। वोटिंग संपन्न होने तक केजरीवाल समझ चुके थे कि हनुमान जी का नाम लेने से उन्हें फायदा हो रहा है। वह बीजेपी की ओर से उनके लिए बनाई जा रही छवि से भी बच रहे हैं। तभी वोटिंग संपन्न होने के बाद भी केजरीवाल कनॉट प्लेस वाले हनुमान मंदिर में मत्था टेकने पहुंच गए। वहीं अब जब चुनाव परिणाम आने के बाद भी केजरीवाल ने अपने पहले संबोधन में हनुमान जी का नाम लिया और सबसे पहले कनॉट प्लेस के उसीहनुमान मंदिर में पूजा करने पहुंच गए हैं। हनुमान मंदिर की यात्राओं से केजरीवाल ने संकेत दे दिया है कि वह आगे भी सॉफ्ट हिंदुत्व के मुद्दे को अपने साथ जोड़े रहेंगे।
मंगलवार, 11 फ़रवरी 2020
"हनुमान जी" ने बाजी मारी: केजरीवाल
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