डीजीपी की सख्त चेतावनी जिले के पुलिस अधीक्षक के लिए : मेरे पास सबका फीडबैक, नहीं सुधरे तो मेरी कलम चलेगी
यूपी में फिर से हुआ एसओजी का गठन, जिलों में थाने के अलावा अब चार-चार यूनिट होगी तैनातःडीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी
लख़नऊ। डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने बुधवार को अपनी साप्ताहिक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में अफसरों के जमकर पेंच कसे। उन्होंने चेतावनी दी कि कौन क्या कर रहा है और कौन कितना काबिल है मुझे सब जानकारी है। ऐसे अफसर सुधर जाएं नहीं तो मेरी कलम चलेगी तब ज्यादा नुकसान होगा।
भ्रष्टाचार की शिकायत आई तो विजिलेंस और एंटी करप्शन से जांच कराएंगे। प्रमोशन से डेप्युटेशन तक सब प्रभावित होगा। डीजीपी आगरा और गोरखपुर जोन के अफसरों से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मुझे काम से मतलब है। पुलिस अधीक्षकों से कहा कि आप लोग डीजीपी का सीयूजी नंबर देखते हैं तो फोन उठाते हैं।
अफसर अपना सीयूजी नंबर अपने पास रखने में और आम लोगों का फोन रिसीव करने में अपनी तौहीन समझते हैं। डीजीपी के सर्कुलर पर निगाह भी नहीं डालते हैं। विवेचनाओं की मॉनीटरिंग में लापरवाही होती है। आखिर किस बात के अधीक्षक हैं?
सुरक्षा व कानून व्यवस्था में लगाएं ज्यादा पुलिस कर्मी
डीजीपी ने एक अफसर से पूछा कि कितनी जनसंख्या पर बीट का निर्धारण किया है? उस अफसर ने कहा कि चार गांव पर एक बीट बनाई है। डीजीपी ने कहा कि इसका मतलब है कि सर्कुलर आपने देखा तक नहीं। 3 जनवरी को भेजे गए सर्कुलर में शहरी क्षेत्र और ग्रामीण क्षेत्र में कितनी जनसंख्या पर बीट होगी वह सब लिखा है।
डीजीपी ने कहा कि सभी पुलिस अधीक्षक अपने-अपने जिलों में उपलब्ध जन शक्तियों की समीक्षा करें। अधिक से अधिक पुलिस कर्मियों की ड्यूटी सुरक्षा और कानून व्यवस्था में लगाएं ताकि लोगों में सुरक्षा का भाव पैदा हो
यूपी में फिर से हुआ एसओजी का गठन, जिलों में थाने के अलावा अब चार-चार यूनिट होगी तैनात यूपी के जिलों में बड़े अपराधों के खुलासे के लिए जिलों में एक बार फिर से स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) को सक्रिय कर दिया गया है। डीजीपी मुख्यालय के निर्देश के बाद इसका गठन किया गया है। प्रदेश के सभी जिलों में एसओजी को 2013 में भंग कर दिया गया था और उसके स्थान पर क्राइम ब्रांच का गठन किया गया था। जानकारी के अनुसार शासन के निर्देश पर डीजीपी मुख्यालय ने सभी जिलों में एसओजी के गठन के लिए पत्र लिखा है। सभी पुलिस कप्तानों को निर्देश दिए गए हैं कि वह अपने-अपने जिलों में एसओजी का गठन कर मुख्यालय को सूचित करें।
जानकारी के अनुसार प्रदेश में अनसुलझी घटनाओं के खुलासे के लिए एसओजी लगाई जाती थी। एसओजी का इंचार्ज जिले स्तर पर सब इंस्पेक्टर स्तर के पुलिस कर्मी को बनाया जाता था। अलग अलग जिलों से मिली भ्रष्टाचार की शिकायतों के बाद 2013 में तत्कालीन एडीजी कानून व्यवस्था अरुण कुमार ने सभी जिलों की एसओजी को भंग कर दिया था।
इसके स्थान पर क्राइम ब्रांच का गठन का आदेश दिया गया था। इसका इंचार्ज छोटे जिलों में पुलिस उपाधीक्षक और बड़े जिलों में अपर पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी को बनाया गया था। क्राइम ब्रांच को तीन भागों में बांटा गया था जिसमें अपराध शाखा, अभिसूचना शाखा और आपरेशन शाखा का गठन किया गया था। इसका काम किसी भी घटना के समय आपस में समन्वय स्थापित कर अनसुलझी घटनाओं का खुलासा करने का था।
साथ ही बड़े अनसुलझी घटनाओं की विवेचना भी क्राइम ब्रांच द्वारा की जाने लगी। विवेचनाओं के बोझ से क्राइम ब्रांच की धार धीरे-धीरे कुंद होने लगी। इसका असर यह हुआ एसटीएफ जैसी प्रदेश स्तर की एजेंसी को अनसुलझे मामले दिए जाने लगे। बाद में जिला स्तर पर स्वाट टीम और सर्विलांस टीम का भी गठन एसपी या एसएसपी स्तर से किया जाने लगा। स्वाट टीम को किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए यूपी एटीएस के स्पॉट कमांडोज ने प्रशिक्षित किया गया और उन्हें अत्याधुनिक असलहों से लैस किया गया। इसके बाद भी अनसुलझे मामले जिलों में बढ़ते रहे। थानों पर घटना के बाद जिले की एक-दो नहीं बल्कि अलग अलग यूनिट की अलग टीम लगाकर जांच कराई जाने लगी।
यानी जिलों में घटना के बाद जिन टीमों को सक्रिय किया जाता है उसमें थाने के अलावा क्राइम ब्रांच, स्वाट, सर्विलांस टीम और अब एसओजी की टीम लगाई जा रही है। लगभग सभी जिलों में एसओजी का गठन कर दिया गया है, जो सीधे जिलों में एसपी को रिपोर्ट कर रही हैं और अधिकार व कार्रवाई के मामले में यह टीमें किसी थाने या क्राइम ब्रांच से मजबूत मानी जा रही हैं।
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