मुंबई। महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार में शामिल दलों के बीच सामंजस्य में कमी फिर सामने आई है। शिवसेना के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एक ऐसा कदम उठाया है जिसका शिवसेना के सहयोगी दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने मुखरता से विरोध किया था। पिछले महीने महाराष्ट्र सरकार ने भीमा कोरेगांव हिंसा (Bhima-Koregaon Violence) की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंपे जाने का विरोध किया था। लेकिन अब मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इसकी मंजूरी दे दी है। हालांकि महाराष्ट्र सरकार के इस कदम को एनसीपी प्रमुख शरद पवारने गलत बताया है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार ने पिछले माह आरोप लगाया था कि केंद्र ने भंडाफोड़ होने के डर से भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले की जांच एनआईए को सौंपी है। पवार ने कहा था कि अन्याय के खिलाफ बोलना नक्सलवाद नहीं है। उन्होंने ने कहा था कि ” मेरे खयाल से सरकार को डर है कि उसका भांडा फूट जाएगा। इसलिए (मामले को एनआईए को सौंपने का) फैसला किया गया है।” पवार ने एल्गार परिषद मामले में कार्यकर्ताओं के खिलाफ पुणे पुलिस की कार्रवाई की जांच कराने के लिए सेवानिवृत न्यायाधीश के नेतृत्व में विशेष जांच दल गठित करने की मांग की थी।
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