शरद खरे
सिवनी। जिला मुख्यालय में नागरिक दूषित जल के कारण बीमार पड़ रहे हैं। नगर पालिका परिषद इस मसले पर पूरी तरह मौन ही अख्तियार किये हुए है। पालिका का यह दायित्व है कि वह लोगों को साफ और पीने योग्य जल मुहैया कराये। नगर पालिका अपने दायित्वों को भूलकर तरह तरह के बहानेबाजी में ही उलझी दिख रही है।
शहर में पानी किस तरह का प्रदाय हो रहा है, इस बारे में देखने सुनने की फुर्सत चुने हुये पार्षदों को भी शायद नहीं है। पालिका का अपना जलकार्य विभाग है। जलकार्य विभाग क्या कार्य कर रहा है, इस बारे में भी किसी को कुछ नहीं पता है। सभी के सभी 62 करोड़ 55 लाख रुपये की जुगत में उलझे दिखते हैं। तत्कालीन निर्दलीय विधायक दिनेश राय ने भी बबरिया जलावर्धन की जाँच की। वहाँ जल शोधन सामग्री अमानक पाये जाने के बाद भी पालिका ने इस दिशा में कोई सुधार नहीं किया।
शहर में पानी गंदा क्यों आ रहा है, इस बारे में पालिका के अधिकारियों का अलग आलाप है। अधिकारियों का कहना है कि पानी गंदा इसलिये आ रहा है क्योंकि जल प्रदाय की पाइप लाइन, नाले नालियों में से होकर गुजरती है। इसमें कहीं लीकेज होने पर गंदगी, पानी के साथ आ जाती है।पालिका की दलील, हो सकता है सही हो पर इस सबसे नागरिकों को क्या सरोकार होना चाहिये? जाहिर है नहीं, क्योंकि पालिका की यह नैतिक जवाबदेही है कि वह लोगों को दो नहीं तो कम से कम एक ही वक्त साफ और पर्याप्त पानी तो मुहैया कराये। पालिका के पास अपना एक इंजीनियरिंग अमला है। क्या इंजीनियरिंग अमला यही देखने बैठा है कि कहाँ पाईप लीकेज है और गंदगी उससे जा रही है। पालिका के तकनीकि अमले का यह दायित्व है कि वह उन स्थानों पर जहाँ पाईप लीकेज है वहाँ उसे दुरूस्त करे।
वर्षों से यही देखने में आ रहा है कि पालिका का अमला यह कहकर अपने कर्त्तव्यों की इतिश्री कर रहा है कि पाइप के लीकेज से गंदगी जा रही है। अगर ऐसा है तो लाखों करोड़ों रूपयों की फिटकरी खरीदकर जल शोधन का क्या औचित्य है, जाहिर है नहीं। लोगों को अगर गंदा पानी ही पीना है तो फिर शासन के लाखों करोड़ों रूपयों की होली क्यों?
यह आलम तब है जब दिनेश राय वर्तमान में भाजपा के विधायक हैं। जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह ने भी पिछले साल 28 फरवरी तक का अल्टीमेटम ठेकेदार को इस जलावर्धन योजना को आरंभ करवाने के लिये दिया है। वैसे देखा जाये तो बड़े संपन्न लोग तो घरों में आरओ फिल्टर के जरिये शोधित पानी को पी रहे होंगे किन्तु आम जनता का क्या? आम जनता तो गंदा, बदबूदार, दूषित पानी पीकर बीमार हो रही है। इस मामले में चुनी हुई परिषद भी मौन ही साधे बैठी है। वार्ड के पार्षद भी निश्चिंत हैं मानो सब कुछ ठीक ठाक ही है। जिलाधिकारी प्रवीण सिंह अब नगर पालिका के प्रशासक बन चुके हैं तब उनसे जनापेक्षा है कि इस मामले में पहल कर जनता को कम से कम साफ पानी ही मुहैया करवायें।
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