अंबिकापुर। इन्दिरा गांधी की दमनकारी नीतियों की तरह; बल्कि उससे भी आगे बढक़र सत्ता में बैठे जनप्रतिनिधि आज काम कर रहे हैं। इससे पहले संविधान के साथ इस तरह का छेड़छाड नहीं किया गया है, जैसा अब हो रहा है। पहली बार देश में ऐसा कानून आया है जो धर्म आधारित है। हमारा देश निर्णायक भूमिका में है।
भारत के स्वधर्म को चुनौती मिल रही है। स्वधर्म का मतलब लोकतंत्र, विविधता और अंतिम व्यक्ति तक विकास पहुंचाना है। संविधान के इस प्रस्तावना पर आज अभूतपूर्व हमला हैं, यह देश के शीर्ष से है। उक्त बातें गांधी सुमिरन कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे सामाजिक कार्यकर्ता योगेन्द्र यादव ने सर्किट हाउस में आयोजित पत्रवार्ता में कही। सामाजिक कार्यकर्ता और गांधीवादी राजनेता योगेन्द्र यादव ने सर्किट हाउस में पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि सीएए कानून संविधान विरोधी कानून है। यह एक ऐसे विचार से प्रायोजित है जो देश को तोडऩे वाला है। टू नेशन थ्योरी के आधार पर पूर्व में देश का बंटवारा हुआ था। इसी थ्योरी पर आज काम किया जा रहा है और इसे पीछे के दरवाजे से लागू करने की तैयारी की जा रही है।
इस कानून के माध्यम से धर्मों के बीच बंटवारा किया जा रहा है, दो धर्म की थ्योरी हमारे संविधान के खिलाफ है। यह स्वामी विवेकानंद के मूल मंत्र के खिलाफ भी है। हम स्वामी विवेकानंद के सिद्धांतो को पढ़ते तो हैं लेकिन उसे लागू नहीं करते हैं। सरकार सिर्फ यह कह दे कि स्वामी विवेकानंद के मूल मंत्र को मानते हुए उसे लागू करेंगे। स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में कहा था कि मुझे गर्व है कि मैंने भारत में जन्म लिया, जहां सभी जाति, धर्म के लोगों को अपने यहां जगह दी। आज हम उनके मूल मंत्र को ही भूल गए हैं। इस दौरान रेहाना फाउंडेशन के दिनेश कुमार शर्मा, विशाल श्रीवास्तव, जावेद अंसारी, शाहिद अंसारी सहित अन्य उपस्थित थे।
भारत जोड़ो आंदोलन का होगा आगाजः एनआरसी कानून लागू करने के लिए सरकार 60-70 हजार करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है। इसमें से 50 हजार करोड़ रुपए देश के बेरोजगारों की सूची तैयार करने में खर्च किया जाता तो इसका फायदा देश के विकास के लिए होता। योगेन्द्र यादव ने कहा कि भारत के 100 बड़े लोगों व संगठनों को सीएए कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के लिए जोड़ा गया है। यह सिर्फ सीएए के विरोध के लिए नहीं है बल्कि भारत जोड़ो आंदोलन के लिए किया जा रहा है। इसका आगाज २२ फरवरी को किया जाएगा। जो 23 मार्च को शहीद भगत सिंह की पूण्यतिथि पर समाप्त होगा।
पुरानी सरकार की तरह कर रही है कामः योगेंद्र यादव ने कहा कि दुर्भाग्यवश पुराने सत्ताधारी जो अब तक काम करते आए हैं, वहीं यह सरकार कर रही है। इंदिरा गांधी की दमनकारी नीतियों के खिलाफ जेपी आंदोलन खड़ा हुआ था। उसे कुचलने के लिए माओवादी प्रायोजित आंदोलन कहा गया। यह सरकार उनकी नीतियों को अपनाते हुए एक कदम आगे बढक़र विरोध प्रदर्शन को कुचलने का काम कर रही है। इसके तहत पूरे देश में एक माह तक कार्यक्रम चलाया जाएगा। हम सभी जनता के बीच जाकर उन्हें इस कानून के बारे में बताएंगे।
एनपीआर कानून का होगा बायकॉटः योगेन्द्र यादव ने कहा कि एनपीआर कानून का पूरे देश में बायकॉट किया जाएगा। जनगणना कानून का विरोध नहीं है लेकिन इस एनपीआर के बाद एनआरसी लाया जाएगा। एनपीआर कानून के माध्यम से परिवार के सदस्यों की सूची ली जाएगी, इसके साथ ही किसी सदस्य के सामने ‘डी’ लिख दिया जाएगा, इसका ही विरोध है।
शाहीन बाग कोई संगठन नहीं, बल्कि एक जगह
शाहीन बाग कोई संगठन नहीं है और न ही कोई उनका नेतृत्वकर्ता है। बल्कि एक जगह का नाम है, जहां की महिलाएं उसका विरोध कर रही हैं। अगर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विरोध करने का अधिकार है, लेकिन इससे किसी को परेशानी नहीं होनी चाहिए तो सही है। विरोध करने का अधिकार संविधान में प्राप्त है, लेकिन इससे किसी को परेशानी नहीं होनी चाहिए।
ओवैसी की राजनीति से सहमत नहींः योगेन्द्र यादव ने कहा कि शाहिन बाग में कुछ मीडिया के लोगों को जाने से रोका जा रहा है। इसे लेकर मैंने शाहिन बाग के मंच से विरोध किया है। यह मेरा रेकॉडेड भाषण है। शाहिन बाग को लेकर ओवैसी की राजनीति से मैं सहमत नहीं हूं। मैं ऐसे किसी प्रकार के राजनीति से सहमत नहीं हूं।
6 राज्यों का मिला है समर्थनः सीएए कानून व एनपीआर के खिलाफ अब तक ६ राज्यों का समर्थन मिल चुका है। केरल, पंजाब, राजस्थान, झारखंड की विधानसभा ने इसके खिलाफ प्रस्ताव पारित किया है। झारखंड ने सीएए कानून का विरोध नहीं किया है, बल्कि एनपीआर कानून पर विरोध जताया है। छत्तीसगढ़ की मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से चर्चा हुई है, उन्होंने इस पर सहमति जताई है, लेकिन अब तक कैबिनेट ने इसे पास नहीं किया है। विधानसभा में भी प्रस्ताव पारित नहीं किया गया है।
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