कानपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब से उत्तर प्रदेश की सत्ता में काबिज हुए हैं तब से उन्होंने कानपुर शहर को जाम से निजात दिलाने को लेकर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। शहर के महत्वपूर्ण चौराहों पर ऑफिस खुलने और बंद होने के पीक आवर में जाम लगना अब आम बात हो चली है। इसके अलावा अब तो हालात यहां तक आ पहुंचे हैं कि आपको कब, किस समय, किस चौराहे पर कितने भयानक जाम का सामना करना पड़ जाए, यह कह पाना काफी मुश्किल है। हालांकि इस यातायात व्यवस्था को दुरुस्त करने को लेकर कानपुर शहर के तकरीबन हर चौराहे पर सीसीटीवी से लेकर सिग्नल तक की व्यवस्था की गई है जिसमें हमारे और आपके करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाए गए हैं। बावजूद इसके भी ई-चालान का खौफ कनपुरियों में कुछ खास नहीं दिखता है। जो थोड़ा बहुत डर बचता भी है तो कई रसूखदार अपने टाइट सिस्टम के जरिए कनपुरियों के इस डर पर अपनी मोहर लगाकर इस डर की सौदेबाजी कर लेते हैं। एक अनुमान के मुताबिक कानपुर शहर में फर्राटा मार रहे कमर्शियल वाहनों में करीब 80 फ़ीसदी वाहन यातायात नियमों समेत आरटीओ को ठेंगे पर रखते हुए शहर भर में दौड़ रहे हैं। इनमें ओवरलोडिंग की समस्या तो अब बहुत आम बात हो चली है जबकि कई वाहन तो ऐसे भी हैं जिनमें वाहन चालक के पास ड्राइविंग लाइसेंस, गाड़ी के कागज समेत फिटनेस संबंधी मानकों पर ये वाहन खरे नहीं उतरते। और अब जबकि यातायात नियम संबंधित जुर्माने में कई फीसदी की बढ़ोतरी की जा चुकी है। तब भी इस बढ़ोतरी का सीधा लाभ सरकारी राजस्व में न पहुंचाकर इन रसूखदारों और सिस्टमबाजों की झोली में डालने पर पूरा जोर यातायात विभाग के ही कुछ लोगों द्वारा दिया जा रहा है। शहर के अंदर रसूखदारों और सिस्टमबाजों की दुकानें तो काफी लंबे वक्त से चल रही थी लेकिन अब जबकि यातायात नियमों के उल्लंघन से संबंधित जुर्माने में काफी बढ़ोतरी हो गई है। तब से आम जनमानस समेत इन कामर्शियल वाहन चालकों में नियम कानून समेत जुर्माने का ऐसा डर बसा कि नियम कानून मानने की बजाय इन्हें इन रसूखदारों और सिस्टमबाजों का संरक्षण लेना ही पड़ा।
ऐसे ही एक रसूखदार हैं शकील सिद्दीकी जो जे एस ऑटोलोडर एसोसिएशन के नाम से मानकों के विपरीत शहर में फर्राटा मार रहे सैकड़ों की तादाद में कॉमर्शियल वाहनों को न सिर्फ सदस्यता देते है बल्कि उनसे मासिक 100 रुपए का शुल्क लेकर उनके नियमों और मानकों पर पर्दा डालने का काम भी करते हैं। हालांकि इनके इस एसोसिएशन के रजिस्ट्रेशन, रिन्यूअल और मान्यता से संबंधित नियम कानून खुद संदेह के घेरे में बने हुए हैं। कुछ भी हो.... मतलब साफ है यदि आप किसी भी प्रकार से यातायात विभाग के नियमों और मानकों का उल्लंघन कर रहे हैं लेकिन आपके पास जे एस ऑटो लोडर एसोसिएशन की सदस्यता है तो आपके ऊपर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही न करने को लेकर अन्ततः यातायात विभाग मजबूर हो जाएगा।
यातायात विभाग के एसपी ट्रैफिक सुशील कुमार के मुताबिक पूर्व में प्रकाशित हमारी खबर को संज्ञान में लेते हुए आए दिन शकील सिद्दीकी के जे एस ऑटो लोडर एसोसिएशन की सदस्यता से संबंधित कमर्शियल वाहनों के जुर्माने काटे जा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो अब तक करीब 15 वाहनों से 5000 रुपए के हिसाब से जुर्माना वसूला गया है। लेकिन यह काफी नहीं है.... हमें इंतजार है कब यातायात नियमों का उल्लंघन करते हुए इन कॉमर्शियल वाहनों के चालानों की संख्या 150 पहुंचती है और फिर 1500 क्योंकि शहर में ऐसे कामर्शियल वाहनों की संख्या सैकड़ों से लेकर हजारों तक है जिनको शकील सिद्दीकी जैसे कई रसूखदार अपने उगाही तंत्र के माध्यम से संरक्षण देने का काम कर रहे हैं। हमारे अगले संस्करण में हम आपको ऐसे ही एक और रसूखदार के विषय में बताएंगे।
रविवार, 2 फ़रवरी 2020
आदित्यनाथ यूपी की सत्ता में हुए 'काबिज'
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