रविवार, 19 जनवरी 2020

शमशान तक मां-बहन ने दिया कंधा

सलाम शहीद को श्मशान तक मां-बहन ने दिया कंधा, तीन माह की बेटी ने दी मुखाग्नि, तस्वीरें


जम्मू कश्मीर। जम्मू-कश्मीर में शहीद हुए गुरदासपुर के लाल रंजीत सिंह सलारिया को गुरुवार राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। इस दौरान हजारों लोगों की आखें नम हो गईं। रंजीत सिंह 13 जनवरी को जम्मू-कश्मीर के माछिल सेक्टर में शहीद हुए। दरअसल, 12 हजार फुट की ऊंचाई और -30 डिग्री तापमान पर रंजीत गश्त कर रहे थे। तभी हिमस्खलन की चपेट में आ गए थे। रंजीत सिंह भारतीय सेना की 45 राष्ट्रीय रायफल्स में तैनात थे। शहादत के चार दिन बाद हिमवीर रंजीत का पार्थिव शरीर गुरुवार शाम को श्रीनगर से विशेष विमान से अमृतसर के राजासांसी एयरपोर्ट अमृतसर लाया गया। वहां से सेना के जवानों ने सैन्य वाहन से पार्थिव शरीर को तिब्बड़ी कैंट पहुंचाया। शुक्रवार सुबह शहीद का पार्थिव शरीर उनके गांव सिद्धपुर लाया गया। जैक राइफल्स के जवानों ने शहीद को सलामी दी। पत्नी दीया बोली- मेरे रंजीत को ताबूत से निकालो उसका दम घुट रहा है
तिरंगे में लिपटा शहीद का पार्थिव शरीर जब गांव पहुंचा तो माहौल गमगीन हो गया। मां रीना देवी, पिता हरबंस सिंह, पत्नी दीया व बहन जीवन ज्योति की करुणामयी चीत्कारें कलेजा छलनी कर रहीं थी। पत्नी दीया ने शहीद पति के ताबूत को देखा तो उसके सब्र का बांध टूट गया। रोते हुए पत्नी के मुख से यही शब्द निकले कि ' मेरे रंजीत को ताबूत से बाहर निकालो, उसका दम घुट रहा है। मेरी परी को अपने पापा को देखना है, देख परी पापा आ गए हैं। इतनी बातें कहते ही वह बेसुध हो गई।'
मां-बहन ने दिया शहीद रंजीत की अर्थी को कंधा
शहीद सिपाही रंजीत सलारिया की मां रीना व बहन जीवन ज्योति जो कि पिछले चार दिनों से अपनी सुध बुध खो बैठी थी। जब सेना के जवान तिरंगे में लिपटे शहीद का पार्थिव शरीर को जब श्मशान ले जाने लगे तो मां और बहन ने शहीद की अर्थी को कंधा देकर श्मशान पहुंचाया। इसे देख हर आंख नम हो गई। शहीद रंजीत सलारिया जो अपने मधुर स्वभाव से सारे गांव का लाडला था, जब उसकी पार्थिव देह को श्मशान ले जा रहे थे तो गांव के युवाओं ने अपने साथी के सम्मान में सारे रास्ते में फूलों की बिसात बिछाकर शहादत को नमन किया।
शहीद सिपाही रंजीत सलारिया जिसने अक्तूबर में पैदा हुई बेटी सानवी के जन्म पर खूब जश्न मनाया था और प्यार से उसका नाम परी रखा था। आज जब उसी नन्ही परी ने अपने दादा हरबंस सिंह व चाचा सुरजीत सिंह के साथ अपने नन्हें हाथों से अपने शहीद पापा की चिता को मुखाग्नि दी तो श्मशानघाट शहीद रंजीत सलारिया अमर रहे, भारत माता की जय के जयघोषों से गूंज उठा।
⚠हर कोई नम आंखों से यह कह रहा था कि ईश्वर यह दिन किसी को न दिखाए। डीसी विपुल उज्जवल ने सैन्य अधिकारियों के साथ शहीद के परिवार को तिरंग भेंट करते हुए कहा कि सिपाही रंजीत के वतन पर कुर्बान होने से परिवार का सहारा छिन गया है, उसकी अमूल्य शहादत की भरपाई तो नहीं हो सकती, मगर फिर भी सरकार की पालिसी के मुताबिक शहीद की पत्नी दीया को उसकी क्वालीफिकेशन के हिसाब से नौकरी देगी।


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