सोमवार, 6 जनवरी 2020

पाक शरणार्थियों में जगी उम्मीद की किरण

इस्लामाबाद। बोर्ड ने उसके परीक्षा फॉर्म को अस्वीकार कर दिया था क्योंकि उसने पाकिस्तान से दसवीं कक्षा उत्तीर्ण की थी। देश में नागरिकता कानून लागू होन के बाद पाकिस्तान से भारत आए लोगों में नई उम्मीद जगी है। यहां तक कि बच्चे भी पढ़-लिखकर बेहतर भविष्य बनाना चाह रहे हैं। ऐसा ही एक मामला राजस्थान से आया है। यहां दामी कोहली ने 12वीं बोर्ड की परीक्षा में बैठने के लिए जोधपुर में फॉर्म भरा है। उसने पाकिस्तान बोर्ड से दसवीं पास की है। हालांकि राजस्थान बोर्ड ने उसे अनुमति नहीं दी, तो प्रदेश के शिक्षा मंत्री सामने आए। शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह दोतासारा का कहना है कि दामी कोहली 12वीं की परीक्षा में जरूर बैठेगी, चाहे सरकार को अपने नियमों में ही बदलाव क्यों न करना पड़े।दामी कुछ साल पहले तक पाकिस्तान के सिंध प्रांत में रहती थी। वहां धार्मिक उत्पीड़न हुआ और भागने को मजबूत होना पड़ा। तब से यह परिवार जोधपुर से लगभग 20 किलोमीटर दूर आंगनवा शरणार्थी शिविर में रह रहा। दामी ने 11 वीं में साइंस विषय चुनकर स्थानीय स्कूल में दाखिला लिया था और इस साल 12वीं की परीक्षा में बैठना चाहती है। दामी के अनुसार, "मैंने 2018 में स्कूल में प्रवेश लिया था। मैंने वहां पूरे साल पढ़ाई की और 11 वीं कक्षा उत्तीर्ण की। मेरे पास मार्कशीट भी है। बोर्ड परीक्षा के लिए केवल एक महीना बचा है और स्कूल ने मुझे एक नोटिस दिया है जिसमें कहा गया है कि मुझे परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी। मैंने सभी प्रमाण दिए हैं। मुझे शिक्षा का अधिकार भी मिलना चाहिए।


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