मुंबई। मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (पीएमएलए) के विशेष अदालत ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और कई अन्य बैंकों को विजय माल्या की जब्त संपत्ति को बेचकर कर्ज वसूली करने की इजाजत दी है। गौरतलब हो कि इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कहा था कि उसे आरोपी के खिलाफ की जाने वाली वसूली में कोई आपत्ति नहीं है। माल्या के वकीलों ने कोर्ट के फैसले पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि यह केवल डेट रिकवरी न्यायाधिकरण ही तय कर सकता है। हालांकि, विशेष पीएमएलए अदालत ने इस निर्णय पर 18 जनवरी तक रोक लगाया है, ताकि माल्या इस आदेश के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में अपील कर सकें। बता दें कि बैंकों के करीब नौ हजार करोड़ रुपये के लोन ना चुकानें, बैंक धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ब्रिटेन में माल्या मुकदमे का सामना कर रहा है।
गौरतलब है कि दिसंबर महीने में विजय माल्या मामले में लंदन कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट जनवरी में विजय माल्या पर फैसला सुना सकता है। वहीं, विजय माल्या पर दायर दिवालिया घोषित होने की याचिका खारिज की जा सकती है या यह याचिका रद्द की जा सकती है। माना जा रहा है कि भारतीय सुप्रीम कोर्ट में माल्या के दिए गए ऑफर पर सहमति नहीं बन जाती तब तक यह याचिका स्थगित भी की जा सकती है। इस मामले में यूके कोर्ट भारतीय नियमों की प्रासंगिकता पर विचार कर सकता है।
उच्च न्यायालय ने पूर्व में दिए एक फैसले में दुनियाभर में माल्या की संपत्ति के लेन-देन पर प्रतिबंध लगाए जाने के आदेश को पलटने से इनकार कर दिया था और भारत की एक अदालत के उस फैसले को बरकरार रखा था कि 13 भारतीय बैंकों का समूह तकरीबन 13 हजार करोड़ रुपये के कर्ज की भरपाई करने के लिए अधिकृत है। इसके बाद बैंकों ने संपत्ति जब्त करने के आदेश के तौर पर भरपाई की कवायद शुरू की। इसी के तहत कर्ज की भरपाई करने के लिए ब्रिटेन में माल्या की संपत्ति को जब्त करने की अपील करते हुए दिवाला याचिका दायर की।
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