विशाखापट्टनम। आंध्र प्रदेश के खुफिया विभाग ने केंद्रीय एजेंसियों के साथ मिलकर एक पाकिस्तानी जासूसी रैकेट का खुलासा किया है। इस मामले में और तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इससे पहले आठ लोगों को पकड़ा गया था। भारतीय नौसेना की पूर्वी कमान इस रैकेट के निशाने पर थी। नौसेना की यह कमान रणनीतिक तौर पर बेहद अहम है।
तीन लोगों की हालिया गिरफ्तारी पाकिस्तान के लिए जासूसी करने को लेकर है। हालांकि पूर्व की गिरफ्तारियां भी इसी आरोप में की गई हैं। गिरफ्तार तीन लोगों के नाम राजेश, लोकंदा और नीरजन है। ये तीनों विशाखापत्तनम में ईस्टर्न नेवल कमांड में कार्यरत हैं। अभी तक इस मामले में जितनी गिरफ्तारियां हुई हैं वे सभी जूनियर रैंक के हैं। इन्हें पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने हनी ट्रैफ में फंसाया और फेसबुक व अन्य सोशल मीडिया के जरिये इनसे जानकारी मंगाई। आईएसआई की तरफ से इन जूनियर नौसेनिकों को जानकारी के लिए पैसे भी चुकाए जाने की बात कही जा रही है। आईएसआई ने इनसे नौसेना के जहाज और पनडुब्बियों के बारे में संवेदनशील जानकारी मंगाई है।
बता दें, इन तीन लोगों से पहले भारतीय खुफिया एजेंसियों ने 20 दिसंबर को पाकिस्तान से जुड़े एक जासूसी गिरोह का भंडाफोड़ कर भारतीय नौसेना के सात अधिकारियों और एक हवाला ऑपरेटर को गिरफ्तार किया था। बाद में गृह मंत्रालय ने इस मामले को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दिया। जांच एजेंसियों ने कहा था कि चीन और पाकिस्तान से लगने वाली समुद्री सीमा की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार पूर्वी और पश्चिमी दोनों नौसैन्य कमांड केंद्र जासूसों को पता चल गए थे। एजेंसियों ने कहा, कुछ और संदिग्धों से पूछताछ चल रही है।
जांच एजेंसियों के मुताबिक भारतीय नौसेना के पूर्वी कमान के मुख्यालय और परमाणु पनडुब्बी अरिहंत के ठिकाने विशाखापत्तनम की जानकारी जासूसी गिरोह को मिल गई थी। बयान के अनुसार, पूर्वी कमान भारतीय जल सीमा में चीनी जहाजों की संदिग्ध गतिविधियों पर नजर बनाए हुए है। भारतीय नौसेना ने हालांकि कहा कि उसकी सभी संपत्तियां सुरक्षित हैं और उन्हें कोई खतरा नहीं है। आरोपियों को 20 दिसंबर को कोर्ट में पेश करने के बाद तीन जनवरी तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।
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