मंगलवार, 28 जनवरी 2020

एसआरए स्कीम भ्रष्टाचार का साम्राज्य बना

मुंबई। गरीब झोपड़ाधारकों को बिल्डिंग में घर देने के लिए शुरु किया गया एसआरए स्कीम आज बिल्डरों और सोसायटी पदाधिकारियों की मिली भगत से भ्रष्टाचार का साम्रज्य बन गया है। भ्रष्टाचार के इसी साम्राज्य के खिलाफ ‘संगठन भारत’ ने पोलखोल अभियान चला रखा है। कांदिवली पश्चिम, न्यू लिंक रोड, लालजी पाड़ा के झोपड़पट्टी इलाके में एसआरए स्कीम को लागु करने के लिए जय भारत (कांदिवली ) एसआरए गृहनिर्माण संस्था और साईदर्शन एसआरए गृहनिर्माण संस्था बनाया गया। इन दोनों संस्थाओं ने एसआरए स्कीम के तहत यहां विकास करने के लिए विकासक के तौर पर राज आर्केड्स होम्स् प्रा. लि. नामक बिल्डर का चुनाव किया। यही से झोल झाल का बड़ा खेल शुरु हुआ। एसआरए अधिकारियों, कलेक्टर कार्यालय, बिल्डर सहित जय भारत कांदिवली और साईदर्शन एसआरए गृहनिर्माण के संस्था पदाधिकारियों ने मिल कर कैसे दुसरों के नामों पर एलाट हुए फ्लैटों को अपने कब्जे में कर रखा है।इस की विस्तृत खबर संगठन भारत ने अपने पिछले अंक में छापी थी। इस अंक में हम आप के सामने साईदर्शन एसआरए गृहनिर्माण संस्था के पदाधिकारी कैसे बिल्डर के कृपा पात्र बने हैं, इस झोलझाल पर से पर्दा उठाने जा रहे हैं।


आरटीआई से जो जानकारी हमें प्राप्त हुई है। उसके अनुसार सरोज रामकिशन धनई (परि-२ अनु क्र. ४२) को एसआरए की बिल्डिंग में फ्लैट क्रमांक १३०५ दिया गया है। सरोज रामकिशन धनई साई दर्शन एसआरए को.आ.हौ.सो. के अध्यक्ष रामबचन धनई सरोज के भाई हैं। सरोज रामकिशन धनई बगल के अभिलाख नगर में रहते हैं। यहां पÌलैट पाने के लिए उन्होंने घिरामन शिवदास चौहान से उक्त फ्लैट बैकडेट में खरीदा है ऐसा कागजात बना लिए हैं। जो पूरी तरह बोगस है। ऐसे ही यादव बंधुओंको भी यहां पÌलैट मिले हैं। रामआसरे लुरखूर यादव (परि-२, अनु क्र. १७) को ११०१ नंबर का पÌलैट मिला है। उनके भाई यादव अशोक लुरखूर (परि-२ अनु क्र. १८) को १२०५ नंबर का पÌलैट दिया गया है। यह दोनो भाई भी पास के ही इंदिरा नगर के रहिवासी हैं। अशोक यादव के पात्रता को लेकर सुनील तिवारी नामक व्यक्ति ने अपिल भी किया था। परंतु उसे रद्द किया गया। इन दोनों भाईयों ने यहां एसआरए बिल्डिंग में पÌलैट धारक बनने के लिए जो कागजी प्रमाण प्रस्तुत किए हैं उसके अनुसार भी रामआसरे यादव ही पात्र हैं। अशोक यादव को पात्र बनाने के लिए वकील रजक बिहारी चौहान से फ्लैट खरीदने का झुठे दस्तावेज बनाए गए हैं। घर एक पर फ्लैट दिए गए है दो। इसलिए दुसरा घर दिखाने के लिए यादव ने सुनिल तिवारी का झोपड़ा अपने नाम दिखाया है। सुनिल तिवारी ने पुलिस, कलेक्टर, एसआरए और मंत्रालय तक शिकायत कि है। लेकिन अभी तक उचित कार्रवाई नही हुई है। बिल्डर राज आर्केड्स होम्स प्रा. लि. द्वारा बनाए गए एसआरए की बिल्डिंगों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं। जहां एक झोपड़ा होने के बावजूद कागजातों मे हेरफेर कर उन्हें दो या तीन फ्लैट देने का काम किया गया है। इसी श्रेणी में आती हैं। अमरावती राजमणी यादव (परि २, अनु क्र. २०) जिन्हें पÌलैट क्रमांक १४०७ दिया गया है। अमरावती यादव जो हैं। वह वेदप्रकाश राजमणी यादव की मां है। यह दोनो एक ही झोपड़े में रहते थे। उसी झोपड़े को दो भागों में बांट कर कागजातों में हेरफेर कर दो फ्लैट के मालिक बने हैं। वेदप्रकाश राजमणी यादव (परि-२, अनु क्र. ४५) को १००६ नंबर का फ्लैट दिया गया है। कागजों में किए गए हेर फेर में वेदप्रकाश के पिता का नाम राजमणी और मां अमरावती के पति का नाम राजमठी दर्शाया गया हैं। यानी णी और ठी शब्द इन दोनो को फ्लैट पाने के लिए पात्र बने हैं। एसआरए स्कीम के तहत बिल्डर राज आर्केड्स होम्स प्रा. लि. ने ही सिर्फ घौटला किया है ऐसा नही है। मुंबई में एसआरए स्कीम के तहत काम करने वाले लगभग सभी बिल्डरों का यही हाल है। अन्य बिल्डरों द्वारा एसआरए में इस प्रकार के झोलझाल किए जाने के पुख्ता सबूत ‘संगठन भारत’ को जब भी प्राप्त होगा। उसे पाठकों तक पहुंचने का कार्य अखबार करता रहेगा।


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