राहुल गांधी का आरोप, बर्खास्त डीएसपी देविंदर को चुप कराने के लिए एनआईए को सौंपा जांच का जिम्मा
मनोज सिंह ठाकुर
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर पुलिस के ऐंटी-हाइजैंकिंग सेल के डीएसपी रहे देविंदर सिंह का केस राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंपे जाने पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आपत्ति जताई। राहुल ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह इस गंभीर मामले पर लीपापोती करने में जुटी है। राहुल ने एनआईए की निष्पक्षता पर भी सवाल खड़ा किया और कहा कि इस जांच एंजेंसी के प्रमुख भी एक ‘मोदी’ ही हैं।
वाईके मोदी की देखरेख में जांच पर आपत्ति
राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, ‘आतंकवादी डीएसपी देविंदर को चुप कराने का सर्वोत्तम तरीका है केस को एनआईए के हाथों सौंप देना।’ उन्होंने कहा कि वर्तमान एनआईए प्रमुख के अधीन इस केस की जांच का कुछ नतीजा नहीं आने वाला। राहुल ने कहा, ‘एनआईए के प्रमुख भी दूसरे मोदी ही हैं- वाईके जिन्होंने गुजरात दंगों और हरेन पांड्या की हत्या मामले की जांच की थी। वाईके की देखरेख में यह केस खत्म होने जैसा है।’
राहुल का सवाल, देविंदर को कौन चुप कराना चाहता है?
आखिर में राहुल ने सवाल किया कि आखिर टेररिस्ट देविंदर को कौन चुप कराना चाहता है और क्यों? उन्होंने हैशटैग के साथ लिखा, ‘आतंकवादी देविंदर को कौन लोग चुप कराना चाहते हैं और क्यों? राहुल पहले भी देविंदर सिंह के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की चुप्पी पर सवाल उठा चुके हैं।
कांग्रेस सरकार ने ही बनाई थी एनआईए
दिलचस्प बात यह है कि राहुल गांधी ने अब उसी एनआईए पर सवाल उठाया है जिसे कांग्रेस की यूपीए सरकार ने गठित किया था। राहुल से पहले छत्तीसगढ़ के कांग्रेसी मुख्यमंत्री भूपेश बखेल भी एनआईए को असंवैधानिक घोषित कर चुके हैं। उनकी सरकार ने 15 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर एनआईए को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की। छत्तीसगढ़ एनआईए ऐक्ट, 2008 की संवैधानिकता को चुनौती देने वाला पहला और एकमात्र राज्य है।
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