शुक्रवार, 10 जनवरी 2020

25 करोड़ लोग 10 ट्रेड यूनियन से जुड़े

भारत बंद 10 ट्रेड यूनियन से जुड़े 25 करोड़ लोग शामिल, ये सेवाएं रहेंगी प्रभावित


अमित शर्मा


चंडीगढ़। केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध में बुधवार को बुलाए गए श्रमिक संघों के भारत बंद का असर बैंकिंग, परिवहन समेत कई जरूरी सेवाओं पर पड़ सकता है। देश के 10 प्रमुख श्रमिक संघों के आह्वान पर करीब 25 करोड़ लोग हड़ताल में शामिल हो सकते हैं। भारत बंद को देखते हुए कई सरकारी बैंकों ने स्टॉक एक्सचेंज को पहले ही बैंकिंग सेवाएं प्रभावित होने की जानकारी दी है। 
दरअसल एआईबीईए, एआईबीओए, बेफी, इनबेफ समेत कई कई बैंक कर्मचारी एसोसिएशन भी इस हड़ताल में हिस्सा लेने की इच्छुक हैं। ऐसे में जमा एवं निकासी और चेक क्लीयरेंस जैसी सेवाएं प्रभावित होने की संभावना है। हालांकि निजी बैंकों पर इसका असर नहीं पड़ेगा। इसके अलावा राज्यों में परिवहन समेत अन्य प्रमुख सेवाएं भी प्रभावित हो सकती हैं। 
10 ट्रेड यूनियन से जुड़े 25 करोड़ लोग होंगे शामिल
10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ और यूटीयूसी ने सोमवार को संयुक्त बयान में कहा कि देशव्यापी हड़ताल में कम से कम 25 करोड़ लोगों की भागीदारी की उम्मीद है। सरकार से श्रमिक विरोधी, जन-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी नीतियों को वापस लेने की मांग करेंगे। बयान में कहा गया है कि श्रम मंत्रालय ने 2 जनवरी, 2020 को बैठक बुलाई थी, लेकिन वह अब तक श्रमिकों की किसी भी मांग पर आश्वासन देने में विफल रहा है। सरकार का यह रवैया श्रमिकों के प्रति अवमानना का है। इसके अलावा, बढ़ी फीस और शिक्षा के व्यावसायीकरण के खिलाफ 60 छात्र संगठन और कुछ विश्वविद्यालय के पदाधिकारी भी हड़ताल में शामिल हो सकते हैं। ट्रेड यूनियनों ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हिंसा और अन्य विश्वविद्यालय परिसरों में ऐसी घटनाओं की निंदा की है। उन्होंने जुलाई, 2015 से एक भी भारतीय श्रम सम्मेलन आयोजित नहीं होने पर नाराजगी जताई। साथ ही श्रम कानूनों की संहिता बनाने और सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण का भी विरोध किया है।
बंद में शामिल केंद्र सरकार के कर्मियों को भुगतने होंगे परिणाम केंद्र सरकार ने इस बीच अपने कर्मचारियों को आगाह किया है कि भारत बंद में शामिल होने वालों को परिणाम भुगतने होंगे। कार्मिक मंत्रालय ने जारी आदेश में कहा, हड़ताल में शामिल होने वाले कर्मचारियां के वेतन में कटौती की जा सकती है। साथ ही इनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की हो सकती है। सभी विभागों को इस संदर्भ में राजनीतिक संदेश जारी कर दिया गया है। इसमें कहा गया है कि एसोसिएशन बनाने के अधिकार में हड़ताल करने के हक की गारंटी नहीं है। ऐसे में हड़ताल में शामिल होने वालों को परिणाम के लिए तैयार रहना होगा। बैंकिंग सेवाओं पर पड़ेगा असर
बैंकिंग सेक्टर केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने आठ जनवरी को हड़ताल का फैसला किया है। अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ के एक नेता ने बताया कि इस हड़ताल का समर्थन 10 यूनियन कर रही हैं। अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ के महासचिव सीएच वेकंटचलम के अनुसार सरकार की नीतियों का विरोध करने के लिए हड़ताल की जा रही है। हड़ताल में रोजगार के नए अवसर पैदा करने, श्रम कानूनों में संशोधन पर रोक लगाने और नौकरी की सुरक्षा संबंधी मांगें रखी जाएंगी। रिजर्व बैंक के कर्मचारियों ने वर्षों से लंबित मांगों के पूरा न होने पर हड़ताल का समर्थन किया है। इस दिन बैंकिंग संबंधी सभी तरह के कामकाज ठप रहेंगे, जिससे लोगों को एटीएम में भी पैसा नहीं मिलेगा। सब्जी से लेकर के सार्वजनिक परिवहन पर पड़ेगा असर
हड़ताल की वजह से लोगों को दूध, सब्जी, दवाएं आदि भी मिलने में मुश्किल हो सकती है। वहीं सार्वजनिक परिवहन जैसे कि टैक्सी, ऑटो, बस आदि की सेवाओं पर असर पड़ सकता है, जिससे सभी तरह के रेल, सड़क और हवाई यात्रियों को परेशानी हो सकती है। इस दौरान निजी वाहनों से ही सफर किया जा सकता है। आर्थिक मुद्दों पर केंद्र को बदनाम करने की कोशिश राजनाथ
केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि कई ताकतें आर्थिक मुद्दों पर केंद्र सरकार को बदनाम करने की कोशिश कर रही हैं। लेकिन सरकार कारोबारियों के हितों को समझते हुए उसी दिशा में काम कर रही है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में सुस्ती वैश्विक मंदी का हिस्सा है। भारत के मुकाबले विकसित देशों पर इसका ज्यादा प्रभाव पड़ा है।कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के कार्यक्रम में राजनाथ ने कहा, ‘मैंने सीलिंग के मुद्दे पर केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप पुरी से चर्चा की है। उन्होंने इस पर ध्यान देने का भरोसा दिलाया है।’ इससे पहले कैट ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर 10 लाख से अधिक कारोबारियों को सीलिंग की मार से बचाने के लिए कोई योजना लाने का आग्रह किया है।


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