बुधवार, 18 दिसंबर 2019

सोने के मूल्य में गिरावट की संभावना

कोलकाता! बुलियन डीलर्स और ऐनालिस्टों का कहना है अमेरिका और चीन के बीच व्यापार समझौते के 'पहले चरण' से गोल्ड की कीमतें एक महीने में 2 पर्सेंट कम हो सकती हैं। अभी गोल्ड का भाव 39,140 रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास है। इंडस्ट्री के अनुमान के मुताबिक अगर व्यापार-वार्ता सकारात्मक बनी रहती है तो सोने का भाव 38,110 रुपये प्रति 10 ग्राम हो सकता है। आज सुबह एमसीएक्स पर 10 बजकर 28 मिनट पर सोने के फरवरी वादा सौदे का भाव 32 रुपये ऊपर 37972.00 रुपये प्रति 10 ग्राम पर देखा गया।


मिड जनवरी तक और गिरेंगे दाम!
इंडिया बुलियन ऐंड जूलर्स असोसिएशन (IBJA) के राष्ट्रीय सचिव सुरेंद्र मेहता ने कहा, 'सितंबर-अक्टूबर में गोल्ड 40,000 रुपये से नीचे आया है। अगर ट्रेड वार्ता सकारात्मक दिशा में बढ़ती रही तो अगले महीने के मध्य तक कीमतों में और कमी आ सकती है।' IBJA के राष्ट्रीय अध्यक्ष पृथ्वीराज कोठारी ने बताया कि डॉलर के मुकाबले रुपया 72 के मुकाबले मजबूत होकर 70.80 पर आ गया है। यह भी गोल्ड को प्रभावित करने वाला अहम फैक्टर है।


फेस्टिव सीजन के बाद बढ़ी मांग
मेहता और कोठारी दोनों का कहना है कि फेस्टिव सीजन के बाद से गोल्ड की मांग बढ़ी है। अगर आगे जाकर जनवरी मध्य तक कीमतों में और गिरावट आती है तो मांग में और इजाफा हो सकता है। कुछ समय के लिए गोल्ड की मांग कम हुई थी। हालांकि समय बीतने के साथ फेस्टिवल सीजन शुरू होने और चालू वेडिंग सीजन से मांग धीरे-धीरे बढ़ी है। उन्होंने कहा, ' अक्टूबर में 40 टन गोल्ड का आयात हुआ था जबकि नवंबर में 71 टन सोने का। इससे पता चलता है कि मांग में बढ़ोतरी हो रही है। हमें यह ट्रेंड फरवरी 2020 तक जारी रहने की उम्मीद है। अगर कीमतें 38,000-39,000 प्रति 10 ग्राम के बीच बनी रहती हैं तो हमारा अनुमान है कि गोल्ड के लिए 40-50 टन की मासिक मांग आ सकती है।'


ग्रोथ में धीरे-धीरे रिकवरी से मांग!
यस सिक्यॉरिटीज, इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज में सीनियर ऐनालिस्ट हितेश जैन ने कहा कि 1,500 डॉलर प्रति औंस के आसपास रहने के बाद गोल्ड 1,350- 1,400 डॉलर की रेंज में कन्सॉलिडेट हुआ। जैन ने बताया, 'फेडरल बैंक अगले साल ब्याज दरों में और अधिक कटौती नहीं करेगा। इस स्थिति में हमें लगता है कि मार्केट पार्टिसिपेंट्स को अमेरिका में आक्रामक मॉनिटरी ईजिंग (ब्याज दरों में अधिक कमी) के अपने अनुमान को वापस लेना होगा। ग्लोबल इकनॉमिक ग्रोथ में धीरे-धीरे रिकवरी हो रही है। इससे भी सेफ-हेवन ऐसेट के लिए गोल्ड की मांग घटेगी। इसके अलावा भारत और चीन में गहनों के खपत में कमी आई है। इससे फिजिकल गोल्ड की कुल खरीद भी कमजोर बनी हुई है।'


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