मुंबई। महाराष्ट्र एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने सिंचाई घोटाले में पूर्व डिप्टी सीएम अजित पवार को क्लीन चिट दी। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में 27 नवंबर को एसीबी ने हलफनामा दायर किया, जिसमें कहा गया कि एजेंसियों के भ्रष्टाचार के लिए अजित पवार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है, क्योंकि उनका कोई कानूनी कर्तव्य नहीं था।
महाराष्ट्र एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने सिंचाई घोटाले में पूर्व डिप्टी सीएम अजित पवार को क्लीन चिट दी। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में 27 नवंबर को एसीबी ने हलफनामा दायर किया, जिसमें कहा गया कि एजेंसियों के भ्रष्टाचार के लिए अजित पवार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है, क्योंकि उनका कोई कानूनी कर्तव्य नहीं था।
हाल ही में एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) के प्रमुख और मुंबई के पुलिस कमिश्नर संजय बारवे ने भी कुछ साल पहले कोर्ट में हलफनामा दायर किया था। एसीबी के हलफनामे में कहा गया था कि गोसीखुर्द और जीगाव परियोजनाओं के लिए टेंडर की फाइल पर अजित पवार ने साइन किए।
अब नए हलफनामे में कहा गया है कि विदर्भ इरिगेशन डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (वीआईडीसी) के सभी प्रावधानों का पालन किया गया। इसलिए उनका ऑब्जर्वेशन खारिज किया गया। गौरतलब है कि अजित पवार इस घोटाले में आरोपी थी। जब भाजपा की सरकार थी, तब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भ्रष्टाचार के इन्हीं मामलों में अजित पवार को जेल भेजने की बात करते रहे। हालांकि बाद में फडणवीस ने इन्हीं अजित पवार के समर्थन से सरकार बनाई और पवार को उपमुख्यमंत्री बनाया। पवार को क्लीन चिट देने की भी तभी शुरुआत हो गई थी। एसीबी ने अजित पवार से जुड़े कई मामलों में जांच बंद करने की घोषणा कर दी थी।
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