हैदराबाद। ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर भ्रम पैदा किया है। उन्होंने इसे 'काला कानून' और 'असंवैधानिक' भी बताया। साथ ही कहा कि इसके जरिए केंद्र सरकार धर्म के नाम पर भेदभाव कर रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार को कड़ा संदेश देने के लिए नागरिकता कानून और एनआरसी का विरोध करने वाले अपने घरों पर तिरंगा फहराएं।
शनिवार को देर रात हैदराबाद में आयोजित एक रैली को संबोधित करते हुए ओवैसी ने यह बातें कहीं। इस दौरान उनसे पूछा गया था कि क्या सीएए को लेकर 'अफवाहों' को दूर करने की जरूरत है क्योंकि सरकार द्वारा इस बात का स्पष्ट भरोसा देने के बावजूद कि भारतीय मुसलमानों को कुछ नहीं होगा, कई मुसलमानों का दावा है कि उन्हें बाहर कर दिया जाएगा। सबसे खास बात यह रही कि रैली के दौरान संविधान की प्रस्तावना भी पढ़ी गई। ओवैसी ने कहा कि सरकार क्यों नहीं कहती है... असम में, जहां एनआरसी लागू किया गया, आप करीब 5.40 लाख बंगाली हिंदुओं को सीएए के जरिए नागरिकता दे रहे हैं। आप असम में पांच लाख मुसलमानों को नहीं देंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि यह अफवाह है या सच? यह बात सरकार को बतानी चाहिए। उन्होंने भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि आप भेदभाव कर रहे हैं। आप धर्म के आधार पर कानून बना रहे हैं और फिर शिकायत भी कर रहे हैं। सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा के बारे में पूछने पर ओवैसी ने कहा कि मैं इस तरह की हिंसा की निंदा करता हूं, चाहे फिर वह हिंसा लखनऊ, अहमदाबाद, बेंगलुरु या कहीं और ही क्यों न हुई हो। इसके साथ ही एआईएमआईएम नेता ने लोगों से अपील भी की कि विरोध के लिए अपने संवैधानिक अधिकार का इस्तेमाल जरूर करें, लेकिन हिंसा की सभी को निंदा करनी चाहिए।
ओवैसी ने पूछा मैं कैसे देशद्रोही हूं?
ओवैसी ने कहा कि यह लड़ाई सिर्फ मुसलमानों की नहीं है, बल्कि दलितों, एससी और एसटी समुदायों की भी है। उन्होंने सवाल किया कि मैं कैसे देशद्रोही हूं? मैं अपने जन्म और मर्जी से भारतीय हूं। उन्होंने लोगों से 'संविधान बचाओ दिवस' आयोजित करने के लिए भी कहा। बता दें कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न किए जाने के चलते भागकर भारत आने वाले हिंदुओं, सिखों, जैनियों, पारसियों, बौद्धों और ईसाइयों को नागरिकता देने के लिए प्रावधान किया गया है, खास तौर पर ऐसे लोग जो 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत आए थे।
रैली में नजर आई वायरल वीडिया वाली जामिया की छात्राएं
रैली में जुटे लोगों में जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की छात्रा लदीदा सखलून और आयशा रेना भी नजर आईं। यह दोनों छात्राएं केरल की रहने वाली हैं। बीते दिनों दिल्ली में नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें यह दोनों एक युवक काे पुलिस की पिटाई से बचाने की कोशिश करतीं नजर आई थीं।
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