हैदराबाद रेप कांड के चारों आरोपियों को पुलिस एनकाउंटर में किया गया ढेर
इसे ईश्वर का न्याय ही कहेंगे जिसने अपना रास्ता खुद ढूंढ लिया
देखा जाए तो इस लोकतंत्र में इंसाफ मिलने की जो गति है वह इतनी ढीली और मंद पढ़ चुकी है कि इस तरह के संवेदनशील मामलों का हल ऊपर वाला ही जल्दी निकाल सकता है। वही देर रात हैदराबाद रेप कांड के आरोपियों के साथ हुआ। जब रेप कांड की शिकार वेटिनारी डॉक्टर के साथ अन्याय करने वाले चारों आरोपियों को पुलिस उस स्थान पर दौराने तफ्तीश लेकर गयी जहां ये जघन्य अपराध उन चारों की ओर से अंजाम दिया गया था। वहां चारों ने भागने कोशिश की और पुलिस की गिलियों का शिकार हो गए।
पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने एक बयान में कहा है कि अक्सर इस तरह के मामलों में लोगों को आरोपियों को ऐसी जगह पर ले जाया जाता है जहां पर वारदात को अंजाम दिया गया हो ताकि माहौल का अंदाजा लगाकर जांच कर रहे पुलिस अधिकारियों को तफ्तीश में मदद मिले। कुछ ऐसी ही कोशिश के दौरान उन चारों ने भागने का प्रयास किया। जिस पर उन लोगों को गोली मार दी गई। अब ! गोली मार दी गई या उनको वहां ले जाया ही इसलिए गया था कि उनका एनकाउंटर किया जा सके। चाहे जो भी हो !!! दोनों ही सूरत में ईश्वर ने अपने हिस्से का नयाय कर दिखाया है। पूरे देश भर की मानसिक पीड़ा और डॉक्टर के माता पिता की वेदना लगता है ईश्वर के हृदय तक पहुंच पहुंच गयी और वह पुलिसवालों के माध्यम से उस जगह आकर उन के भीतर विराजमान हो गई जिन्होंने इस काम को अंजाम दे डाला।आखिर न्याय ने अपना रास्ता ढूंढ ही लिया।
नए भारत का जन्म होता हुआ दिखाई दे रहा है। जहां पर यदि व्यवस्था का एक हिस्सा अपना काम ढंग से नहीं करता तो दूसरा हिस्सा उस काम को पूरा कर देता है। दूसरे शब्दों में यदि कार्यपालिका अपना काम सही नहीं करती तो न्यायपालिका अपना काम करती है । न्यायपालिका देर करती है तो समाजअपना काम करता है। समाज यदि कोई गलत फैसला लेता है तो सरकार अपना काम करती है। यदि सरकार कुछ गलत काम करती है तो न्यायपालिका अपना काम करती है । फिर हमारे देश में तो अगर कोई भी कहीं से भी काम नहीं करता तो ऊपर वाले की अद्भुत सत्ता सब कुछ अपने हाथ में ले लेती है और अपना काम कर डालती ।*
शायद इसी ताने-बाने की वजह से हमारा लोकतंत्र आज तक इतने सालों तक जिंदा है जिसके लिए हम सब बधाई के पात्र हैं।
दुर्जन-दुर्जन ही रहे, जिन हरा सका न कोय!
अंतकाल वो ही हुए, जो ईश की इच्छा होय!
नरेश राघानी 'मधुकर'
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Thank you, for a message universal express.