सोमवार, 23 दिसंबर 2019

कानून के नाम पर प्रताड़ित ना करें

दुर्ग। देश भर में एनआरसी और सीएए को लेकर छिड़े आम नागरिकों के प्रखर विरोध का रूप सोमवार को भिलाई में भी संविधान बचाओ समिति के कार्यक्रम में हजारों की संख्या में जुटे नागरिकों की उपस्थिति में दिखा। सबके हाथ में तिरंगा झंडा था और मासूम सी पंक्तियां लिखे पोस्टर हाथ में थे, मैं भारत का नागरिक हूँ, मैं अपनी पहचान क्यों साबित करूँ। रैली में आम नागरिकों के साथ, सामाजिक संगठन से जुड़े सदस्य, कलाकार, छात्र-छात्रा तथा सभी वर्गों के लोग उपस्थित थे। जिन्होंने सामूहिक रूप से देश के वर्तमान हालात पर चिंता जताई।


समिति की रैली में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वामी विवेकानंद और गांधी के उदाहरणों द्वारा एनआरसी को लेकर अपनी राय आम जनता के समक्ष व्यक्त की। उन्होंने कहा कि 183 में शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन के कार्यक्रम में स्वामी विवेकानंद ने अपने संबोधन में भारत भूमि के बारे में कहा था कि मैं ऐसे देश से आता हूं जो दुनिया भर से सताए लोगों को स्थान देता है।


इसी प्रकार 106 में दक्षिण अफ्रीका में एशियन रजिस्ट्रेशन सिटीजन बिल में एशियाई मूल के लोगों को अपने फिंगर प्रिंट देने होते थे और गांधी ने इससे इनकार किया था। उन्होंने कहा था कि मैं रजिस्टर में हस्ताक्षर नहीं करूंगा। एनआरसी में आपको अपनी भारतीयता प्रमाणित करनी होगी। आपमें से यहां भिलाई में अधिकांश लोग देश के कोने कोने से आये हैं। आपको अपने माता पिता से संबंधित दस्तावेज लाने उन इलाकों में जाना होगा।


यह मशक्कत का काम होगा और सोचिए कि कहीं आपके पहचान संबंधित दस्तावेजों में लिपिकीय त्रुटि रह गई, फिर अपनी नागरिकता साबित करने कोर्ट के चक्कर लगाते रहिए। असम का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि वहां तो एनआरसी की प्रक्रिया में पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के वंशज भी बाहर हो गए। यहां तक की भाजपा के एक विधायक का परिवार भी बाहर हो गया। वहां के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल स्वयं कह रहे हैं कि एनआरसी के दौरान त्रुटियां रह गई हैं। असम में आग लगी है और केंद्र सरकार यह आग पूरे देश में फैलाना चाहती है। गृह मंत्री और प्रधानमंत्री के कथन में विरोधाभास दिखता है। इस संबंध में कोई स्पष्टता नहीं दिखती। एनआरसी लागू हुआ तो कितने लोगों को अपनी पहचान साबित करने सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार घुसपैठियों को देश से बाहर निकाले, इसके लिए एजेंसियों को लगाए, हम मदद करेंगे लेकिन देश की सारी जनता को इस तरह से परेशान करना और धन तथा संसाधन और समय की बर्बादी सही नहीं है।


असम का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि 10 साल यह प्रक्रिया चली, 1600 करोड़ रुपये खर्च हुए, फिर भी इतनी सारी त्रुटियां रह गई हैं। देश भर में ऐसा हो तो सोचिए क्या स्थिति पैदा होगी। केंद्र की सरकार असम की आग पूरे देश मे फैलाना चाहती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज देश में बेरोजगारी की भयावह समस्या है। अर्थव्यवस्था तबाह है। इन मुद्दों से परे देश को किस दिशा में ले जा रहे हैं। इस पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है।



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