वाराणसी। बीएचयू के 101वें दीक्षांत समारोह में नागरिकता कानून का विरोध दिखाई दिया। मंगलवार को हिस्ट्री ऑफ आर्ट्स के छात्र रजत सिंह ने नागरिकता कानून के विरोध को लेकर बनारस में हुई गिरफ्तारियों के खिलाफ अपनी डिग्री लेने से मना कर दिया। रजत ने संकाय स्तपर पर आयोजित दीक्षांत समारोह में भाग लिया और मंच पर भी गया लेकिन डिग्री नहीं ली। रजत ने कहा कि आज कई छात्रों को यहां डिग्री लेनी थी लेकिन वह जेल में हैं। गिरफ्तार किए गए सभी लोगों को रिहा किया जाना चाहिए।
रजत ने आरोप लगाया कि बनारस में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे 70 लोगों को पुलिस ने जेल भेज दिया था। इसमें कई बीएचयू के छात्र हैं। बनारस के प्रदर्शन में किसी भी प्रकार की कोई हिंसा नही हुई थी। इसके बावजूद पुलिस ने बीएचयू के छात्रों को डराने के लिए फर्जी मुकदमे लगाए हैं। वहीं, बीएचयू के कई छात्रों ने संकाय स्तर पर आयोजित दीक्षांत में मिली डिग्री को मालवीय जी की प्रतिमा के समीप रखकर प्रदर्शन किया। छात्र नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के दौरान विश्वविद्यालय से गिरफ्तार कर जेल भेजे गए छात्रों को रिहा करने की मांग कर रहे थे। रजत सिंह ने बताया कि इस समय बीएचयू के करीब 15 छात्र जेल में हैं। विश्वविद्यालय उनकी रिहाई के लिए कोई प्रयास नहीं कर रहा है। छात्र के समर्थन में बीएचयू के समान विचारधारा वाले छात्रों ने संयुक्त रूप से बीएचयू परिसर में विश्वनाथ मंदिर में बीएचयू के संस्थापक महामना पं मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा के पास अपनी डिग्री, पगड़ी और अंगवस्त्रम रखकर छात्रों के गिरफ्तारी का विरोध किया।उन्होंने सर्वसम्मति से गिरफ्तार छात्रों की रिहाई की मांग की। छात्र प्रियेश ने कहा कि 19 दिसम्बर को कुछ छात्र बेनिया क्षेत्र में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में भाग लेने के लिए जा रहे थे, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। वे फिलहाल जेल में बंद हैं। उन्हें छोड़ देना चाहिए क्योंकि वे छात्र हैं।
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