नयी दिल्ली। देश का चिर प्रतिक्षित नागरिक संशोधन बिल आज संसद में लाया गया है। बिल को प्रस्तुत किया जाये या नहीं, इस पर वोटिंग हो रही है। गृहमंत्री अमित शाह ने इस बिल को सदन में लाया। इस दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष में तीखी बहस भी हुई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में नागरिकता बिल को पेश किया. इसपर अधीर रंजन चौधरी ने विरोध जताया जिसपर अमित शाह ने जवाब दिया. अमित शाह ने अधीर रंजन को जवाब देते हुए कहा कि ये बिल कहीं पर भी इस देश के अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है।
लोकसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने पेश किया नागरिकता संशोधन विधेयक, कहा- यह बिल 0.001% भी देश के अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है! बिल पेश होते ही लोकसभा में हंगामा, कांग्रेस ने विरोध किया! अमित शाह ने कहा कि बिल पर चर्चा हो सकती है लेकिन इसके मेरिट पर चर्चा नहीं हो सकती! अमित शाह ने कहा- मैं सारे सवालों के जवाब दूंगा, वॉक आउट कर जाना!
क्या है उस बिल में जानिये:संशोधन बिल इसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के शिकार गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है! इस विधेयक में छह दशक पुराने नागरिकता कानून में संशोधन की बात है और इसके बाद इस पर चर्चा होगी और इसे पारित कराया जाएगाा! इस विधेयक के कारण पूर्वोत्तर के राज्यों में व्यापक प्रदर्शन हो रहे हैं और काफी संख्या में लोग तथा संगठन विधेयक का विरोध कर रहे हैं! उनका कहना है कि इससे असम समझौता 1985 के प्रावधान निरस्त हो जाएंगे जिसमें बिना धार्मिक भेदभाव के अवैध शरणार्थियों को वापस भेजे जाने की अंतिम तिथि 24 मार्च 1971 तय है! प्रभावशाली पूर्वोत्तर छात्र संगठन (नेसो) ने क्षेत्र में दस दिसम्बर को 11 घंटे के बंद का आह्वान किया हैै! नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 के मुताबिक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के कारण 31 दिसम्बर 2014 तक भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को अवैध शरणार्थी नहीं माना जाएगा बल्कि उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी! यह विधेयक 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा का चुनावी वादा था! भाजपा नीत राजग सरकार ने अपने पूर्ववर्ती कार्यकाल में इस विधेयक को लोकसभा में पेश किया था और वहां पारित करा लिया था! लेकिन पूर्वोत्तर राज्यों में प्रदर्शन की आशंका से उसने इसे राज्यसभा में पेश नहीं किया! पिछली लोकसभा के भंग होने के बाद विधेयक की मियाद भी खत्म हो गयी!
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