बेंगलुरु/मुंबई। बैंक जल्द ही अपने नो योर कस्टमर (KYC) फॉर्म्स में एक नया कॉलम जोड़ सकते हैं, जिसमें उसके जमाकर्ता या ग्राहक को अपने धर्म का उल्लेख करना होगा। विदेशी मुद्रा विनिमयन अधिनियम (FEMA) के नियमों में बदलाव की वजह से बैंकों के लिए यह जरूरी हो गया है। नियमों में बदलाव मुसलमानों को छोड़कर चुनिंदा धार्मिक अल्पसंख्यकों को एनआरओ अकाउंट खोलने तथा संपत्ति खरीदने की सुविधा देने के लिए किया गया है।
अनिवासी साधारण रुपया बचत खाता (NRO) अनिवासी भारतीयों के लिए भारत में बचत या चालू खाते की सुविधा है, जिसमें वे भारत में कमाई गई रकम को जमा कर सकते हैं।
म्यांमार, श्रीलंका तथा तिब्बत के लोग नहीं
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम की तरह ही, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा 2018 में जारी फेमा में संशोधन उन प्रवासियों तक सीमित किया गया है, जो पाकिस्तान, बांग्लादेश तथा अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक समुदायों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी तथा ईसाई) से आते हैं और लॉन्ग-टर्म वीजा रखते हैं। लॉन्ग टर्म वीजा रखने वाले ये लोग भारत में रिहायशी संपत्ति खरीद सकते हैं और बैंक खाता में खोल सकते हैं। संशोधित नियमों में नास्तिकों, मुसलमान प्रवासियों तथा म्यांमार, श्रीलंका तथा तिब्बत के प्रवासियों को नहीं रखा गया है।
शेड्यूल 3 में संशोधन
फेमा (डिपॉजिट) रेग्युलेशंस के शेड्यूल 3 में संशोधन के मुताबिक, 'भारत में रह रहे लॉन्ग टर्म वीजा रखने वाले बांग्लादेश या पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय (हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी तथा ईसाई) के लोगों को केवल एक एनआरओ अकाउंट खोलने की मंजूरी दी गई है। जब ये लोग नागरिकता अधिनियम, 1955 के प्रवाधानों के तहत भारत के नागरिक हो जाएंगे तो उनके एनआरओ खाते को रेजिडेंट खाते में बदल दिया जाएगा।'
खरीद सकते हैं एक संपत्ति
फेमा के नियमों के मुताबिक, 'बांग्लादेश, पाकिस्तान या अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय के लोग, जिन्हें भारत में लॉन्ग टर्म वीजा दिया गया है, वे भारत में केवल एक अचल रिहायशी संपत्ति खरीद सकते हैं।'
'विचित्र है नियम'
वित्त मंत्रालय के सूत्र ने बताया कि यह बदलाव पिछले साल किया गया था, जब कई वित्तीय जानकारों, नौकरशाहों तथा राजनीतिज्ञों का ध्यान वित्तीय संकट की तरफ था। उन्होंने कहा, 'किसी ने उम्मीद नहीं की थी कि बैंकिंग से जुड़े नियमों में धार्मिक भेदभाव के नियम लाए जाएंगे।'
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