कानपुर। कानपुर नगर मे नमामि गंगे योजना के तहत नेशनल गंगा काउंसिल की पहली मीटिंग करने सिलसिले मे आए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अटल घाट पर वापसी के समय फिसल कर गिर गए। जिसके बाद उन्हे एसपीजी के जवानो ने उठाया। इस दौयन वहाँ अफरा तफरी का माहौल हो गया, हालांकि यहाँ बताते चलें कि उक्त घटना क्रम मे अच्छी बात यह रही कि पीएम मोदी को कोई चोट नहीं आई, जिस समय यह घटना हुई, उस समय प्रदेश के मुखिया योगी आदित्य नाथ और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत मौजूद रहे। पीएम मोदी के पैर फिसल कर गिरने का वीडियो सोशल मीडिया मे खूब वायरल हो रहा है। ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय गंगा परिषद की पहली बैठक की अध्यक्षता की। वह इस महत्वाकांक्षी नमामि गंगे परियोजना की समीक्षा करने के लिए यूपी के कानपुर में आए थे। पीएमओ की तरफ से पहले ही यह जानकारी दी गयी थी कि वह गंगा की सफाई के पहलुओं पर किए गए कार्यों की प्रगति की समीक्षा करेंगे और विचार-विमर्श करेंगे।
एसपीजी जवान भी लड़खड़ाया
वायरल हो रहे वीडियो मे साफ देखा जा सकता है कि पीएम मोदी के साथ हुई फिसलने की घटना के ठीक आगे आगे चल रहे एसपीजी के जवान का भी पैर सीढ़ियो मे फंसा था, लेकिन वह सजग जवान अपने को संभालते हुये गिरने से बच गया, और आगे बढ़ गया।
सीढ़ियाँ है ऊंची नीची
अटल घाट पर बनी सीढ़ियों को बारीकी से देखने पर पता चलता है कि जिस सीढ़ी पर प्रधानमंत्री मोदी का पैर फंसा है वह अन्य सभी सीढ़ियों से ज्यादा ऊंचाई की थी। जिससे हुआ यह कि नीचे बनी अन्य सीढ़ियों की तरह ही सामान्य तौर पर चल रहे पीएम मोदी का पैर उस ऊंचाई तक नहीं उठ सका और सीढ़ी से फंस गया, जिससे वह आगे की ओर झुकते चले गए और पहले हाथों के पंजे फिर बाएँ हाथ की कोहनी जमीन पर टकराई। इतने मे ही एसपीजी के जवानो ने संभाल लिया। और पीएम मोदी बिना किसी को कुछ कहे ही आगे बढ़ गए।
मंडलायुक्त ने सर्वेक्षण दौरान सीढ़ियों को सुधारने की कही थी बात
मिली जानकारी अनुसार जिस समय कानपुर मंडलायुक्त ने अटल घाट का सर्वेक्षण किया था। उस समय मौके पर मौजूद अधिकारियों से उन्होने सीढ़ियों को सुधारने की बात कही थी। यदि इस बात को सत्यता मान लें तो मंडलायुक्त ने उक्त स्थिति को भाँप लिया था। या यूं कहे कि मंडलायुक्त सीढ़ियों की बनावट मे कमी देखी, और उसे सुधारने के लिए अपने अधीनस्थों को सुधार के लिए कहा भी, लेकिन मंडलायुक्त की इस बात को अमल मे न लेकर अधिकारियों ने लापरवाही बरती। जिससे पीएम मोदी के साथ इस प्रकार की घटना घटित हो गयी।
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