लखनऊ। पूर्व आईएएस अधिकारी तुलसी गौड़ के खिलाफ भ्रष्टाचार का केस चलेगा। इसके लिए शासन ने विजिलेंस को अनुमति दे दी है। विजिलेंस के एक अधिकारी ने बताया कि 2001 में तुलसी गौड़ पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा था जिसके बाद तुलसी के खिलाफ लोकायुक्त ने जांच की थी। लोकायुक्त ने अपनी जांच में तुलसी को दोषी पाया था और शासन से किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की सिफारिश की थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने 2011 में लोकायुक्त की सिफारिश को मानते हुए इस मामले की जांच विजिलेंस को सौंप दी थी। 1980 बैच के आईएएस रहे तुलसी गौड़ पर निर्यात निगम में तैनाती के दौरान भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप लगे थे। इसमें से एक मामला अपनी पत्नी के नाम फर्म बनाकर उन्हें सरकारी ठेका दिलाने का था। जबकि एक अन्य मामला विदेश यात्रा के खर्चों में हेर फेर का था। गौड़ पर आरोप था कि सरकारी विदेश यात्रा केखर्च का ब्यौरा उन्होंने बढ़ा चढ़ा कर पेश किया और उसका भुगतान ले लिया। इतना ही नहीं जब शासन ने विदेश खर्च का ब्यौरा मांगा तो उन्होंने विदेशी करंसी और हवाई टिकट चोरी होने की झूठी कहानी गढ़ दी।कई साल तक चली जांच में विजिलेंस ने तुलसी पर लगे आरोपों को सही पाया। विजिलेंस ने 2014 में शासन से मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी थी। पांच साल बाद तुलसी के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति शासन ने दे दी है।
जल्द दायर की जाएगी चार्जशीट-डीजी विजिलेंस हितेश चंद्र अवस्थी ने बताया कि एक पुराने मामले में तुलसी गौड़ के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति मिली है। इस मामले में आरोप पत्र दाखिल करने की तैयारी की जा रही है। गौड़ पांच साल पहले ही रिटायर हो चुके हैं। वह अब कहां हैं, इसके बारे में जानकारी जुटाई जा रही है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thank you, for a message universal express.