नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर 2013 (डीपीसीओ) के जरिए 21 प्रमुख फॉर्मूला वाली दवाइयों के सीलिंग प्राइस में बढ़ोतरी करने का फैसला किया है। यह पहली बार है कि जब एक ही बार में दवाओं की सीलिंग प्राइस में 50 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है। सीलिंग प्राइस वह कंट्रोल कीमत होती है जिससे अधिक पर कोई उत्पाद नहीं बेचा जा सकता है!
इनमें एंटीबॉयोटिक, एंटी मलेरिया ड्रग्स, बीसीजी वैक्सीन, मलेरिया, लैप्रोसी, पेंसिलीन, विटामिन सी, लीवर स्केयरिंग, एलर्जी की दवाएं और किडनी संबंधी बीमारियों वाली दवाएं शामिल हैं। इनके सीलिंग प्राइज में बढ़ोतरी होने वाली है। बता दें सीलिंग प्राइस वह कंट्रोल कीमत होती है जिससे अधिक पर कोई उत्पाद नहीं बेचा जा सकता। केंद्र सरकार के अधीन आने वाली संस्था एनपीपीए ने ड्रग्स प्राइस कंट्रोल ऑर्डर 2013 के पैराग्रॉफ 19 के आदेश में संशोधन किया है। जिसके तहत दवाओं की कीमत बढ़ाने को मंजूरी दी गई है। हालांकि पहले इस नियम का इस्तेमाल दवाओं की कीमत में कमी लाने के लिए होता था।
बीते दो सालों से फार्मा इंडस्ट्री दवाओं के एक्टिव फार्मास्यूटिकल्स इंग्रीडेंट (एपीआई) के बढ़ते दामों पर लॉबिंग कर रही है। इनमें वो दवाएं खासौतर पर शामिल हैं, जिन्हें चीन से आयात किया जाता है। अब माना जा रहा है कि सरकार के फैसले के बाद उत्पाद के अनुसार एपीआई की कीमत में पांच से 88 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो जाएगी। इसमें 40 से 80 फीसदी फॉर्मूलेशन कॉस्ट शामिल होती है। उदाहरण के तौर पर पैरासिटामोल में अंतिम उत्पाद की कुल वैल्यू का 80 फीसदी एपीआई कॉस्ट होता है।
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