सोमवार, 16 दिसंबर 2019

1 साल में 9 शेरों का शिकार हुआ

नई दिल्ली। केंद्रीय वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो में लगाई गई एक आरटीआई से कुछ महत्वपूर्ण खुलासे से पता चला है कि दिश में इस साल नौ शेरों का शिकार किया गया है।
समाजसेवी रंजन तोमर की आरटीआई के जवाब में यह तथ्य सामने आए हैं। तोमर लगातार वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूचियों में विलुप्तप्राय होने की कगार पर खड़े जानवरों के लिए मांगी गई जानकारी में ब्यूरो ने बताया कि पिछले 11 सालों में करीब 439 शेरो को इस दौरान मार दिए जाने की जानकारी है।


वहीं राष्ट्रीय हरित न्यायालय द्वारा कड़े रुख के कारण भी सरकारों ने यथोचित कदम उठाये हैं। शायद यह ही कारण है के पिछले दस सालों में जहाँ औसतन 430 शेरों का शिकार किया अर्थात 11 वर्षों में तकरीबन 439 शेर खो दिए गए, जिनमें इस साल शिकार में मारे गये 9 शेर भी शामिल हैं। इस साल यह आंकड़ा बेहद कम हुआ है, क्योंकि इससे पहले पिछले साल तक दस साल में 430 शेरो के शिकार होने से हर साल 43 शेरों के मारे जा रहे थे। आरटीआई के जवाब में ब्यूरो द्वारा जवाब दिया गया है के इस वर्ष (अक्टूबर तक ) कुल 9 शेरो का शिकार हुआ है , हालाँकि यह कोई खुशी की बात नहीं है लेकिन पहले से कम शिकार होना जरूर एक अच्छी बात है। पर्यावरण प्रेमी जानते हैं के इस दुनिया में शेर की कितनी अहमियत है। 
असम व मध्य प्रदेश में मारे गए ज्यादा शेर 
आरटीआई के जवाब में कुछ बातें जो खुलकर सामने आई हैं उनमें पहली यह के आसाम राज्य में सबसे ज्यादा 4 शेरों का शिकार हुआ है मई से जुलाई के महीनों में घटित हुआ इस दौरान ब्यूरो एवं पुलिस द्वारा 12 शिकारियों को गिरफ्तार किया गया। दूसरे नंबर पर मध्य प्रदेश है, जहाँ 3 शेरो को जनवरी से मार्च के बीच मार दिया गया, यहाँ भी 2 शेरों के शिकार में 8 शिकारियों को पकड़ा गया, जबकि एक शिकार में किसी को भी नहीं पकड़ा जा सका, इसके आलावा तेलंगाना में एक शेर का शिकार हुआ जबकि 6 शिकारियों को गिरफ्तार किया गया एवं अंत में पश्चिम बंगाल में एक शेर को मारने के लिए 2 शिकारियों को गिरफ्तार किया गया।


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