मंगलवार, 26 नवंबर 2019

भारतीय एकता-अखंडता 'संविधान' का मूल

नई दिल्ली। मंगलवार को देशभर में संविधान दिवस मनाया जा रहा है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देश को संबोधित किया है। उन्होंने कहा है कि मैं विशेष तौर पर 130 करोड़ भारतीयों के सामने नतमस्तक हूं, जिन्होंने भारत के लोकतंत्र के प्रति आस्था को कभी कम नहीं होने दिया और हमारे संविधान को हमेशा एक पवित्र ग्रंथ माना। उन्होंने कहा, डॉ.राजेन्द्र प्रसाद, बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर, सरदार पटेल, मौलाना आजाद, सुचेता कृपलानी और अनेक अनगिनत महापुरुषों ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष योगदान देकर ये महान विरासत हमें सौंपी हैं। मैं उन सभी महापुरुषों को नमन करता हूं। प्रधानमंत्री ने कहा, लेकिन 26 नवंबर दर्द भी पहुंचाता है, जब भारत की महान परंपराओं, हजारों साल की सांस्कृतिक विरासत को आज के ही दिन मुंबई में आतंकवादी मंसूबों ने छलनी करने का प्रयास किया था। मैं वहां मारी गईं सभी महान आत्माओं को नमन करता हूं। 26 नवंबर का दिन ऐतिहासिक है आज 26 नवंबर का दिन ऐतिहासिक दिन है। 70 साल पहले हमने विधिवत रूप से, एक नए रंग रूप के साथ संविधान को अंगीकार किया था। कुछ दिन और अवसर ऐसे होते हैं जो हमारे अतीत के साथ हमारे संबंधों को मजबूती देते हैं। हमें बेहतर काम करने के लिए प्रेरित करते हैं। हमारा संविधान वैश्विक लोकतंत्र की सर्वोत्कृष्ट उपलब्धि है। उन्होंने कहा, संविधान न केवल अधिकारों के प्रति सजग रखता है बल्कि हमारे कर्तव्यों के प्रति जागरूक भी बनाता है। संविधान को अगर मुझे सरल भाषा में कहना है तो मैं कहूंगा कि संपूर्ण भारत की एकता और अखंडता को अक्षुण्ण रखा है। श्रेष्ठ भारत की ओर आगे बढ़ पाए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि संविधान के 70 वर्ष हमारे लिए हर्ष, उत्कर्ष और निष्कर्ष के मिले-जुले भाव लेकर आए हैं। हर्ष ये है कि संविधान कि भावना अटल और अडिग रही है। उत्कर्ष ये है कि हमारे संविधान की मजबूती के कारण ही हम एक भारत-श्रेष्ठ भारत की ओर आगे बढ़ पाए हैं।


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