मंगलवार, 19 नवंबर 2019

यूपी को एनजीटी की फटकार, जुर्माना

कानपुर। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) ने गंगा में प्रदूषण पर सख्त रुख अपनाया है। एनजीटी ने कड़ी कार्रवाई करते हुए यूपी सरकार पर 10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. इसी क्रम में कानपुर देहात के रनिया और नगर के राखी मंडी इलाके में गंगा में जहरीले क्रोमियम युक्त सीवेज गिरने से रोकने में नाकाम रहने पर उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है। साथ ही प्रदूषण फैलाने वाली 122 टेनरियों पर 280 करोड़ रुपये जुर्माना लगाया है। वहीं एनजीटी ने यूपीपीसीबी (UPPCB) को पहले के आदेश का पालन न करने और अनट्रीटेड सीवेज की अनदेखी का दोषी ठहराते हुए एक-एक करोड़ रुपये जुर्माना लगाया है।


एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की पीठ ने कहा कि राज्य सरकार गंगा में जहरीले पदार्थ गिरने से रोकने में नाकाम रही है। इसके चलते 1976 से अब तक इस समस्या का समाधान नहीं हो सका। वहीं, यहां का भूजल दूषित हुआ और आसपास के निवासियों की सेहत के साथ ही पर्यावरण को भी नुकसान हुआ है।


यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) को दोषी टेनरियों से जुर्माना राशि वसूलनी चाहिए। जब तक इस रकम की वसूली नहीं होती तब तक सरकार खुद यह रकम ईएससीआरओडब्ल्यू के खाते में हस्तांतरित करे। इसका इस्तेमाल इलाके में पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य के सुधार में किया जाएगा। राज्य सरकार की भी जिम्मेदारी है कि वह दोषी टेनरियों या दोषी अधिकारियों से जुर्माना वसूले।


पीठ ने कहा कि सरकार प्रभावित इलाके में पीने योग्य पानी की आपूर्ति के साथ अन्य दिशानिर्देशों पर कदम उठाए। साथ ही विशेषज्ञ समिति तीन महीने के अंदर इलाके में स्वास्थ्य अध्ययन करे। सीपीसीबी उचित दिशानिर्देश जारी कर सकती है ताकि यह सुनिश्चित कराया जा सके कि कोई भी प्राधिकरण जल प्रवाह में प्रदूषित सीवेज या प्रदूषित पदार्थों को डालने की अनुमति न दे सकें।


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