वीरांगना उदा देवी पासी --36 अंग्रेजों को अकेले मार गिराने वाली दलित विरांगना जिनका आज शहादत दिवस है
कहानी नवंबर 1857 की है, सर्दी आ चुकी थी! लेकिन, मुल्क के माहौल में गरमी थी! अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह तेज था! इस विद्रोह को दबाने के लिए अंग्रेजी फौज लखनऊ की तरफ बढ़ रही ! भारतीय लड़ाके सिकंदर बाग में पोजिशन लिये हुए थे! इन लड़ाकों में ऊदा देवी भी शामिल थीं! उन्होंने पुरुषों के लिबास पहन रखे थे और पिस्तौल तथा गोलियों से लैस थीं! अंग्रेजी फौज सिकंदर बाग में प्रवेश करती, उससे पहले ही वह प्रवेश द्वार पर लगे पीपल के पेड़ पर चढ़ गयीं !
उन्होंने पेड़ पर से ही गोलियां बरसानी शुरू कर दीं और 30 से ज्यादा अंग्रेजी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया! अपने पराक्रम से उन्होंने काफी देर तक अंग्रेज सैनिकों को प्रवेशद्वार पर ही रोके रखा! इधर 30 से ज्यादा सैनिकों के हलाक होने से अंग्रेजी फौज खौफजदा थी ! उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि आखिरकार गोलियां कहां से चल रही हैं! अंग्रेजों ने जब मारे गये सैनिकों के शरीर में लगी गोलियों के निशान देखे, तब उन्हें पता चला कि कोई ऊपर से फायरिंग कर रहा है!
उन्होंने आसपास नज़र उठाकर देखा तो पाया कि कोई पीपल के पेड़ के झुरमुट में छिपकर गोलियां चला रहा है! इस पर अंग्रेजों ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए गोलियां चलायीं! गोलियां लगते ही ऊदा देवी गश खाकर नीचे गिर पड़ीं! उनका नीचे गिरना था कि अंग्रेजों ने ताबड़तोड़ गोलियां दागनी शुरू कर दीं! उनके प्राण पखेरू उड़ गये, तब जाकर अंग्रेज उनके करीब पहुंचे और देखा कि जिसे वे पुरुष मान रहे थे, वह तो एक औरत थी!
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