नई दिल्ली। अमेरिका की लुसियाना स्टेट यूनिवर्सिटी (एलएसयू) की एक नयी रिपोर्ट में उन 13 उपायों के बारे में बताया गया है। जिससे देश में वायु प्रदूषण को 40 फीसदी तक कम किया जा सकता है। साथ ही, हर साल होने वाली 9 लाख लोगों को मौत से बचाया जा सकता है। इन 13 उपायों को अपनाकर सर्दियों के समय दिल्ली सहित उत्तर भारत के पीएम 2.5 स्तर को 50 से 60 फीसदी तक कम भी किया जा सकता है।
इस रिपोर्ट में प्रदूषण के विभिन्न कारणों से निपटने के लिये बनी नीतियों का विश्लेषण किया गया है जिसमें थर्मल पावर प्लांट (चालू, निर्माणाधीन और नये पावर प्लांट), मैन्यूफैक्चरिंग उद्योग, ईंट भट्ठी, घरों में इस्तेमाल होने वाले ठोस ईंधन, परिवहन, पराली को जलाना, कचरा जलाना, भवन-निर्माण और डीजल जनरेटर का इस्तेमाल जैसी बातें शामिल हैं।
ग्रीनपीस के सीनियर कैंपेनर सुनील दहिया का कहना है, “हम लोग पहली बार विस्तृत और व्यावहारिक नीतियों को सामने रख रहे हैं। जिससे सर्दियों में उत्तर भारत के वायु प्रदूषण को घटाकर आधा कम किया जा सकता है। हम पर्यावरण मंत्रालय से गुजारिश करते हैं। कि वे इन उपायों को स्वच्छ वायु के लिये तैयार हो रहे। राष्ट्रीय कार्ययोजना में शामिल करे और पावर प्लांट के लिये दिसंबर 15 में अधिसूचित उत्सर्जन मानकों को कठोरता से पालन करे। साथ ही अधिक प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर कठोर मानकों को लागू करके प्रदूषण नियंत्रित करे।
रिपोर्ट के लेखक होंगलियांग जेंग कहते हैं, “हमारे शोध बताते हैं कि थर्मल पावर प्लांट के उत्सर्जन को कम करके, औद्योगिक ईकाइयों के उत्सर्जन मानको को मजबूत बनाकर और घरों में कम जिवाश्म ईंधन जलाकर, ईंट भट्टियों को जिग-जैग पद्धति में शिफ्ट करके तथा वाहनों के लिये कठोर उत्सर्जन मानक लागू करके वायु प्रदूषण को कम किया जा सकता है। हालांकि 13 उपायों के साथ-साथ एक व्यापक योजना बनाकर ही वायु प्रदूषण को 40 फीसदी तक कम किया जा सकता है और हर साल होने वाले 9 लाख लोगों की मौत से बचा जा सकता है।
रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है। कि अत्यधिक प्रदूषण फैलाने वाले कारकों से निपटने के लिये थर्मल पावर प्लांट और उद्योगों के कठोर उत्सर्जन मानकों को लागू करने के बाद ही वायु प्रदूषण के स्तर में कमी लायी जा सकती है। इसलिए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्ययोजना को मज़बूत बनाने के लिए पर्यावरण मंत्रालय के द्वारा मांगे गए जन सुझावों के रूप में सीविल सोसाइटी संगठनों, कार्यकर्ताओं,वकीलों और अन्य विशेषज्ञों द्वारा दिये गए सुझावों में भी थर्मल पावर प्लांट के उत्सर्जन मानको को कठोरता से लागू करने की मांग की गयी थी।
सुनील कहते हैं, एलएसयू के शोघ ने एकबार फिर वही बातें दुहराई है जिसकी मांग देश के लोग बहुत लंबे से समय से कर रहे हैं जिसमें थर्मल पावर प्लांट और उद्योगों के लिये कठोर उत्सर्जन मानक बनाया जाना भी शामिल है। हालांकि पर्यावरण मंत्रालय लगातार थर्मल पावर प्लांट को उत्सर्जन मानकों के लिये छूट देने की कोशिश में है। दिसंबर 2015 में पर्यावरण मंत्रालय ने थर्मल पावर प्लांट को दो सालों के भीतर उत्सर्जन मानकों को पूरा करने की अधिसूचना जारी की थी, जिसे अब वे अवैद्य तरीके से पांच साल और बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के ड्राफ्ट में भी मंत्रालय ने विभिन्न सेक्टरों जैसे थर्मल पावर प्लांट और उद्योगों के उत्सर्जन को कम करने के लक्ष्य को शामिल नहीं किया है।
सुनील अंत में कहते हैं, “इस रिपोर्ट में शामिल नीतियों के विश्लेषण से भारत के स्वच्छ वायु आंदोलन को बड़ी मदद मिलेगी। अगर पर्यावरण मंत्रालय लोगों के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है तो उसे जल्द से जल्द राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में क्लीन एयर कलेक्टिव के सुझावों के साथ-साथ एलएसयू द्वारा इस रिपोर्ट में शामिल 13 उपायों को भी शामिल करना चाहिए, जिससे सच में भारत की हवा को साफ बनायी जा सके।
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