नई दिल्ली! महाराष्ट्र बीजेपी ने आनन-फानन में महाराष्ट्र में नई सियासी खिचड़ी पकाते हुए भले ही अजित पवार के सहयोग से सरकार बना ली हो, लेकिन इस जल्दबाजी में एक गड़बड़ी हो गई। केंद्र की बीजेपी सरकार ने बिना कैबिनेट मीटिंग किए ही राज्य से राष्ट्रपति शासन हटा दिया। महाराष्ट्र में 23 नवंबर (शनिवार) की सुबह 5.47 बजे राष्ट्रपति शासन हटा दिया गया। इससे राष्ट्रपति शासन हटाए जाने की संवैधानिकता और कानूनी प्रावधान पर सवाल खड़े हो गए हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य से राष्ट्रपति शासन हटाए जाने की अधिसूचना 23 नवंबर को प्रकाशित की है। इस पर गृह सचिव के डिजिटल हस्ताक्षर हैं।
माना जा रहा है कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन हटाने का निर्णय प्रधानमंत्री के स्तर पर हुआ है! 961 के मुताबिक संविधान के अनुच्छेद 77 की तीसरी उपधारा के मुताबिक सरकार के कामकाज को बिना बाधा के चलाने के लिए प्रधानमंत्री किसी भी मामले या किसी भी वर्ग के मामले में अनुमति दे सकता है। इसी का प्रयोग करते हुए पीएम ने महाराष्ट्र से राष्ट्रपति शासन हटाने की अनुशंसा की। 4 जनवरी, 1961 को तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद द्वारा ये नियम लागू किए गए थे। इन्हीं नियमों में 12वें नियम के मुताबिक पीएम ने ऐसा किया है।
शनिवार, 23 नवंबर 2019
संविधान के विरुद्ध सरकार का गठन किया
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