सांसद ने सदन में उठाया सजा याफता कैदियो को रिहा करने का मुददा
कौशाम्बी जनपद की स्वास्थ्य शिक्षा सडक सिचाई आम जन समस्यायें सांसद की नजर में गौण
कौशाम्बी। देश की सबसे बडी जन पंचायत लोकसभा जहॉ केवल कानून ही नही बनाये जाते है बल्कि खेत खलिहान मजदूर किसान व्यापारी आम जन के जीवन स्तर को ऊपर उठाने एवं जन समस्याओ के निस्तारण के लिए बहस एवं निर्णय लिए जाते है लेकिन देश की सबसे बडी पंचायत में भी नुमाइदो को जन समस्यायें उतनी याद नही आती है जितनी दागदार सजा याफ्ता आदमी के बचाव की बात उनके मन मस्तिक में तैरती रहती है।
बुधवार को लोकसभा में प्रश्न काल के दौरान कौशाम्बी सांसद विनोद सोनकर ने विभिन्न जेलो में आजीवन कारावास की सजा काट रहे सजा याफता कैदियो के बारे में प्रश्न उठाते हुए कहा कि क्या भारत सरकार के पास एैसी कोई योजना है जिसमें शारीरिक रूप से कमजोर वृद्ध और अपराध की जिनसे आशा नही की जा सकती है इस तरह के सजा याफ्ता कैदी को रिहा किया जायेगा।
प्रदेश सहित कौशाम्बी जिले के तमाम गांव में स्वास्थ्य सुविधायें चौपट है आम जन को सस्ता और सुलभ इलाज उपलब्ध कराना सरकार के लिए चुनौती है अस्पतालो में डाक्टर नही मिलते है सरकारी स्कूलो में शिक्षण कार्य में सुधार नही हो पा रहा है। परिषदीय विद्यालय की शिक्षा चौपट है तमाम दूर दराज गांव में सडक सिचाई के संसाधान पीने के पानी आम जन को सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराने की चुनौती सरकार के सामने है
लेकिन यह मुददे कौशाम्बी सांसद को गौण लग रहे है।
आश्चर्य तो उस समय हुआ जब न जाने किसकी ओर इशारा करते हुए कौशाम्बी सांसद विनोद सोनकर ने सरकार से मांग किया है कि सजा याफता कैदी जो बूढे और बीमार है उन्हे रिहा किया जा सकता है। सांसद में किसी साहित्यकार की समस्या किसी पत्रकार की समस्या देश की सीमा पर शहीद होने वाले जवानों के परिवारो की समस्या आम जन मानस के रोजी रोटी उद्योग धन्धो कल कारखानो खेतो में सिचाई का मुददा यदि कौशाम्बी सांसद ने सदन में उठाया होता तो शायद कौशाम्बी सांसद का यश और बढता साथ ही लोकसभा की गरिमा भी बढ जाती है। लेकिन लगता है कि आने वाले दिनो में देश की सबसे बडी पंचायत संसद में भी सियासत की बू आयेगी और जन समस्याओ से जुडे तमाम सवाल शायद ही संसद में उठाये जाये।
सुशील केशरवानी
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