नई दिल्ली! शुल्क एवं सेवा कर विभाग ने बड़े पैमाने पर फर्जी पंजीकरण रजिस्ट्रेशन का पता लगाया है। सरकार को आशंका है कि देश में मौजूदा समय में करीब 20 फीसदी रजिस्ट्रेशन फर्जी हो सकते हैं।
अब विभाग इनका पता लगाकर रद्द करने में जुटा है। सोमवार को जीएसटी संग्रह में हो रही! कमी और फर्जीवाड़े के जरिए जीएसटी चोरी पर राज्यों के सचिवों के साथ बैठक में नई रणनीति बनेगी। इन फर्जी रजिस्ट्रेशनों का पता विभाग को नए रिस्क मैनेजमेंट सिस्टम के जरिए लगा है। साथ ही जीएसटी इंटेलिजेंस विंग की छापेमारी के दौरान पता चले गिरोह के जरिए भी ऐसे चोरों पर कार्रवाई की गई है। हिन्दुस्तान को सूत्रों के जरिए पता चला है! कि सरकार ने ऐसे फर्जी कारोबारियों के खिलाफ कड़ी मुहिम शुरू कर दी है। ऐसे फर्जी कारोबारियों का न सिर्फ पंजीकरण रद्द किया जा रहा है! बल्कि नए सिस्टम के जरिए इनके कारोबार पर भी पैनी नजर रखी जा रही है।
सरकार को आशंका है! कि अब नए हो रहे पंजीकरण पर करीब 20 फीसदी पंजीकरण ऐसे ही फर्जी कारोबारी करा रहे हैं। सरकार नए रिस्क मैनेजमेंट सिस्टम के जरिए कारोबारी के खातों पर पैनी नजर बनाए हुए हैं। विभाग ये भी देख रहा है कि कहीं किसी रजिस्टर्ड जीएसटी कारोबारी के बिजनेस में अचानक उतार चढ़ाव तो देखने को नहीं मिल रहा है। ऐसा होने पर उसे नोटिस भेजा जाता है और संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर उन पर कार्रवाई की जा रही है। सोमवार को दिल्ली में जीएसटी पर एक अहम बैठक होने जा रही है। इसमें जीएसटी चोरी पर अंकुश अहम मुद्दा होगा।
GST चोरी को रोकना पहली प्राथमिकता
बैठक के एजेंडा में जीएसटी चोरी को रोकना सबसे ऊपर रहने वाला है। साथ ही धोखाधड़ी के बढ़ते आंकड़ों को देखते हुए राज्यों के मुख्यमंत्रियों की तरफ से आए नए बिजनेस इंटेलिजेंस यूनिट के गठन के सुझाव पर भी विचार किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने संसद के पिछले सत्र में राज्यसभा में स्वीकार किया है कि पिछले दो साल में 44 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का जीएसटी धोखाधड़ी हुई है।
आधार से जोड़ना जरूरी
सूत्रों ने ये भी बताया है! कि अब कारोबारी के ऊपर टर्नओवर के हिसाब से इनवॉइस बनाने पर एक सीमा लगाने का भी विचार किया जा रहा है। ताकि जीएसटी इनपुट टैक्स क्रेडिट के नाम पर फर्जीवाड़ा पर लगाम लग सके। अगले साल से जीएसटी पंजीकरण को आधार से जोड़ना जरूरी किया जा सकता है।
ऐसे कर रहे फर्जीवाड़ा
मौजूदा दौर में जीएसटी पंजीकरण बेहद आसान है। इसके लिए किसी भी तरह के फिजिकल वेरिफिकेशन की जरूरत नहीं होती है। महज तीन घंटे में कारोबारियों को पंजीकरण दे दिया जाता है। इसी आसान व्यवस्था का फायदा उठाकर धोखेबाज कारोबारी सरकार को चूना लगाते है। रजिस्ट्रेशन कराने के बाद कारोबारी उसी जीएसटी खाते से फर्जी इनवॉइस बनाते हैं और जीएसटी इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम करते हैं।
सोमवार, 25 नवंबर 2019
फर्जी जीएसटी के अर्जन में जुटा विभाग
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