संवादाता-नरेश गुप्ता
औरैया। फाइलेरिया उन्मूलन के लिए एमडीए कार्यक्रम आगामी 25 नवम्बर से 10 दिसम्बर तक चलाया जायेगा। जिसमें घर-घर जाकर लोगों को दवा खिलाई जायेगी। इस कार्यक्रम के सफल आयोजन हेतु जिलाधिकारी की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार कक्ष में जिला समन्वय समिति की बैठक आहूत की गयी। बैठक में जिलाधिकारी ने सीएमओ को निर्देश दिये कि वह स्वास्थ्य कर्मी घर-घर जायें और अपने सामने डीईसी एवं एलबेंडाजाॅल की गोलियां खिलाये।
अभियान के दौरान प्रतिदिन छूटे हुए व्यक्तियों को पुनर्भ्रमण कर दवा खिलाई जाये। इस अभियान का रैली, बैनर, पोस्टर, पम्पलेट आदि के माध्यम से अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार कराया जाये। जिलाधिकारी अभिषेक सिंह ने डीपीआरओ को निर्देश दिये कि वह प्रधानों के माध्यम से ग्रामीण की सहभागिता सुनिश्चित कराये। सभी एमओईसी अधीक्षक इस अभियान को शतप्रतिशत पूर्ण करें। इसमें किसी भी प्रकार की कोई लापरवाही न बरती जाये। अन्यथा संबंधित के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जायेगी। सीएमओ एके राय ने बताया कि इस अभियान हेतु कुल 1566 टीम गठित की गयी है जो 15 लाख की आबादी को कवर करेगी। फाइलेरिया की दी जाने वाली दवा पूर्ण रूप से सुरक्षित है लेकिन दवा खाने के बाद कभी-कभी बुखार, चक्कर, मिचली या उल्टी आ सकती है इस प्रकार की विषम परिस्थितियों को सफलता पूर्वक निस्तारण के लिए जिला स्तर एवं ब्लाक स्तर पर रैपिड रिस्पोंस टीम का गठन किया गया।
फाइलेरिया की पहचान।
इसे हाथी पाॅव रोग के नाम से भी जाना जाता है। इस रोग के कारण शरीर के लटकने वाले अंगों में सूजन का आती है। फाइलोरिया से जुड़ी विकलांगता जैसे लिंफोइडिमा(पैरों में सूजन) एवं हाइड्रोसील(अण्डकोष की थैली में सूजन) के कारण पीड़ित लोगों को इसके कारण आजीविका एवं काम करने की क्षमता प्रभवित होती है।
दवा खिलाने का यह है प्लान।
दो से पांच वर्ष तक के बच्चों को डीईसी एवं एलबेंडाजाॅल की 01 गोली, 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को डीईसी की 02 एवं एलबेंडाजाॅल की एक गोली एवं 15 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को डीईसी की 03 गोली एवं एलबेंडाजाॅल की 01 गोली दी जायेगी, एलबेंडाजाॅल का सेवन चबाकर किया जाना है। दवा खाली पेट नही खिलाई जायेगी।
इनके लिए उपयुक्त है दवा। हर व्यक्ति को इन दवाओं का सेवन करना है केवल गर्भवती महिलाओं, दो साल से कम उम्र के बच्चों एवं गम्भीर बीमरी से पीड़ित लोगों को इन दवाओं को सेवन नही करना है।
फाइलेरिया के बचाव।
_मच्छरों से बचाने के लिए बिशेष ध्यान दें।
_आस-पास साफपानी भी इकटठा न होने दें।
_पानी न हटा पाए तो उसमें कैरोसीन डाल दें।
_चोट अथवा घाव वाले स्थान को हमेशा साफ रखें।
_पूरी बाजू का कपड़ा पहने और साफ रखें।
_सोते वक्त हाथ व पैर सरसों अथवा नीम का तेल लगा लें।
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