झांसी का नाम दुनिया में रोशन करने वाली लक्ष्मीबाई के महल में ही नही हो रहा है उजाला
राणा ओबराय
झांसी का नाम दुनिया में रोशन करने वाली लक्ष्मीबाई के महल में ही नही हो रहा है उजाला
झांसी! अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंकने वाली महारानी लक्ष्मीबाई की वीरता के किस्से आज भी देश दुनिया में बड़े अदब के साथ सुनाये जाते हैं। झांसी को दुनिया के ऐतिहासिक पर्यटन मानचित्र में अहम स्थान दिलाने वाली वीरंगना का महल और किला सरकारी उदासीनता के कारण खंडहर की शक्ल में तब्दील होता जा रहा है।देश को दासता की जंजीर से मुक्त कराने में अहम योगदान देने वाली लक्ष्मीबाई की 184वीं जयंती पर उनकी कर्मस्थली झांसी को रोशनी से सराबोर किया गया और विभिन्न संगठनों ने कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया गया लेकिन रानी के जीवन से जुड़ी दो बेहद महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहरें अंधेरे की आगोश में लिपटी रहीं। झांसी का महल खंडहर में तब्दीलझांसी का किला और रानी महल यह वह दो महत्वपूर्ण इमारतें हैं जो न केवल महारानी लक्ष्मीबाई से सीधे तौर पर जुड़ी हैं बल्कि झांसी शहर की पहचान भी हैं ।पिछले मंगलवार को शहर भर में लोगों ने दीपांजलि की ,विभिन्न चौराहों को रोशनी से सजाया गया और रंगालियां बनाकर बच्चों ने रानी झांसी के जीवन से जुडेंं ऐतिहासिक पलों को रंगों की मदद से उकेरा। इस बीच रानी झांसी का किला और रानी महल दोनों ही इमारतें उस जगमगाहट की बांट जोहती नजर आयीं जिससे लगभग पूरा शहर सराबोर था।उत्तर प्रदेश व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजय पटवारी ने कहा अपनी रानी की वीरता और शौर्य की कहानी को याद करते हुए लोगों ने व्यक्तिगत रूप से उनकी जयंती पर खुशी का इजहार करने के लिए सभी कार्यक्रमों का आयोजन किया । प्रशासनिक स्तर पर हालांकि ऐसा कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किया गया और न ही ऐसा किया जाता है। इतना ही नहीं उनके संगठन के काफी प्रयास के बाद भी रानी की जयंती के अवसर पर भी किले और महल पर रोशनी की इजाजत प्रशासन की ओर से नहीं दी गयी। झांसी का महल खंडहर में तब्दीलपटवारी ने बताया कि पूरी दुनिया में भारतीय नारी की शक्ति की मिसाल कायम करने वाली रानी झांसी की जयंती के उपलक्ष्य में कोई कार्यक्रम प्रशासन की ओर से नहीं किया जाता । प्रशासन इन दोनों ऐतिहासिक धरोहरों के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के तहत आने का रोना रोकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेता है।अधिकारियों के अनुसार रानी झांसी से जुड़ी इन दोनों ऐतिहासिक धरोहरों पर सजावट की इजाजत केवल एएसआई दे सकता है और कार्यक्रम के आयोजक अगर प्रशासन को इस मामले में कोई पत्र देते हैं तो वह केेवल उसे एएसआई को प्रेषित करने के अलावा और कुछ नहीं कर सकता। इन इमारतों पर सजावट की इजाजत देना या नहीं देना एएसआई के हाथ में है।व्यापार मंडल के अध्यक्ष का कहना है कि 15 अगस्त और 26 जनवरी पर यदि दोनों इमारतों पर सजावट और ध्वजारोहण हो सकता है जो झांसी विकास प्राधिकरण द्वारा कराया जाता है तो जिस रानी की यह दोनों ही इमारतें हैं उनके जन्मोत्सव पर इन इमारतों को क्यों नहीं सजाया जा सकता झांसी का महल खंडहर में तब्दील,पटवारी ने कहा, हम तो इस बात में भी तैयार हैं कि अगर प्रशासन या एएसआई इस महत्वपूर्ण दिन किले और महल की सजावट नहीं कर सकता तो न करें केवल हम लोगों को इजाजत दे दे तो हम सभी लोग मिलकर अपनी रानी की यादों से जुड़ी इन इमारतों को सजाने का काम कर सकते हैं।पटवारी ने बताया कि उन्होंने महारानी लक्ष्मीबाई के जन्मोत्सव को अयोध्या की दीपावली और मथुरा के कृष्ण जन्मोत्सव की तर्ज पर ही भव्यता प्रदान किये जाने के संबंध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने बताया है कि रानी झांसी की जयंती उनकी कर्मस्थली झांसी के साथ साथ पूरे बुंदेलखंड में धूमधाम से मनायी जाती है। मुख्यमंत्री से इस अवसर पर किले, रानी महल और सभी सरकारी कार्यालयों और भवनों को भी सजा कर सुंदरता प्रदान करने की इजाजत देने की मांग की है। झांसी का महल खंडहर में तब्दीलजहां तक रानी की जयंती को भव्यता से मनाने की बात है तो यह तो काम बुंदेलखंड से शुरू हो गया है लेकिन प्रशासन और एएसआई के पक्षों के बीच फंसकर रानी झांसी का महल और किला आज भी उनके जन्मोत्सव पर रोशनी की बांट जोह रहा है। उम्मीद ही की जा सकती है कि जल्द ही विभिन्न संगठनों और लोगों के प्रयासों से महारानी से जुडें इन दोनों ऐतिहासिक स्थलों को भी उनके जन्मोत्सव पर रोशन किया जा सकेगा।
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