महाराजगंज! उत्तर प्रदेश भाजपा सरकार देश में आम जनता तक स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतर व्यवस्था का दावा कर रही है । लेकिन उसे सरकार में ऐसे तमाम जमीन के भगवान हैं जो इलाज के नाम पर जनता का खून पी रहे हैं। मामला महाराजगंज जनपद के निचलौल क्षेत्र के संजीवनी हॉस्पिटल का है जहां पर पूर्व में भी संयुक्त निदेशक जे डी स्वास्थ्य एके चौधरी द्वारा कोई भी प्रशिक्षित चिकित्सक के ना होने,अस्पताल में गंदगी और अल्ट्रासाउंड के दौरान लिंग की पहचान बताने की शिकायत पर उसे सीज कर दिया था । परंतु आज यह अस्पताल फिर से शुरू हो गया है और आश्चर्यजनक बात तो यह है कि अस्पताल आज भी उसी दिशा दशा में मौजूद है जिस दशा में उसे संयुक्त निदेशक जेडी स्वास्थ्य ने सीज किया था । आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अस्पताल के संचालनकर्ता डॉ ब्रहस्पति पटेल खुद को एमबीबीएस A.m. परामर्श चिकित्सक बताते हैं जिसे आप को हम आपके मोबाइल स्क्रीन पर दिखाने की कोशिश कर रहें है जो दीवाल पर साफ साफ दिखाई दे रहा है। और उन्हें यह भी नहीं पता है कि एमबीबीएस को शुद्ध रूप से कहते क्या हैं। कहा जा सकता है कि उन्हें एमबीबीएस डिग्री की जानकारी ही नहीं है उन्हें एमबीबीएस का फुल फॉर्म तक नहीं पता है ।
अपने आप को परामर्श चिकित्सक बताने वाले बृहस्पति पटेल ने डाक टाइम्स चैनल की टीम को बताया कि अस्पताल के वे संचालन कर्ता है यहां पर मरीज आने के बाद गोरखपुर से चिकित्सकों को बुलाया जाता है जो मरीज का इलाज करते हैं। इससे आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं कि गोरखपुर से महाराजगंज के बीच की दूरी तय करने में चिकित्सक को कितना समय लगता होगा और इतने समय में तो एक पूरी कौम को खत्म करने के लिए पर्याप्त है। लेकिन अस्पताल में दलालों के मकड़जाल में मरीजों को फंसा कर उनका आर्थिक शोषण पहले भी होता रहा है और आज भी बदस्तूर जारी है। मौजूदा डॉक्टर पटेल के अनुसार अस्पताल में डिलीवरी ऑपरेशन और भगंदर से लेकर कैंसर तक के इलाज होते हैं परंतु खास बात तो यह है कि अस्पताल में कोई भी चिकित्सक नहीं है और जो चिकित्सक हैं भी उन्हें पता ही नहीं कि वह किस चीज के चिकित्सक हैं । क्योंकि डॉ0 पटेल बताते हैं कि उन्हें अल्टीमेट मेडिसिन की डिग्री मिली है।लेकिन एमबीबीएस क्या होता है उन्हें नही पता है।अब सीधा सवाल स्वास्थ्य महकमे से है क्या जिस डॉक्टर को अपने स्वास्थ्य महकमे से अपने CMO, CMS या कहिए उत्तर प्रदेश के मुख्य चिकित्सा निदेशक का नाम नहीं मालूम यहां तक कि उसे अपने डिग्री के बारे में मालूम नहीं तो क्या वास्तव में इन जैसे लोगो को भी जमीन का भगवान कहा जा सकता है।इस मामले में जब डाक टाइम्स न्यूज़ टीम ने जिला चिकित्सा अधिकारी से वाया फोन संपर्क करना चाहा तो उनका फोन नही रिसीव हुआ। जिसके बाद अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी से जब बात किया तो एमबीबीएस एम की डिग्री को फर्जी बताते हुए क्या कहे खुद देख लीजिए इस वीडियो में सैकड़ों साक्ष्य मीडिया के पास मौजूद फिर क्यों कर रही है जिला प्रशासन हीलाहवाली क्यों जिला प्रशासन ऐसे डॉक्टर को भगवान का दर्जा दे रही है जिसे मालूम नही डॉक्टर का मतलब क्या होता है? यह बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह है उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य महकमे के ऊपर!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thank you, for a message universal express.