प्रवीण श्रीवास्तव
सांची और सलामतपुर के बीच हाईवे किनारे एक छोटी पहाड़ी पर सुरक्षा जालियों के बीच एक पेढ़ लहलहा रहा है। सामान्य तौर पर लोग इसे पीपल का पेड़ मानते हैं, लेकिन इसकी कड़ी सुरक्षा को देख उनके दिमाग में यह प्रश्र जरूर उठता है कि इस पेड़ की इतनी सुरक्षा क्यों? लगभग 15 फीट ऊंचाई तक जालियों से घिरा और आस-पास पुलिस के जवान। ऐसा क्या खास है इस पेड़ में ? हाईवे से गुजरने वाले जिन लोगों को यह नहीं मालूम कि इस पेढ़ की खासियत क्या है, क्यों यह इतना महत्वपूर्ण है। उन्हे आश्चर्य जरूर होता है।
यह पेड़ वाकई बहुत खास है।
बौद्ध धर्म के अनुयाईयों के लिए यह श्रद्धा का केंद्र है, तो प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन के लिए श्रीलंकाई राष्ट्रपति की सौगात। लगभग चार साल पहले 21 सितंबर 2012 को श्रीलंका के तत्कालीन राष्ट्रपति महिंद्र राजपक्षे ने इस पहाड़ी पर एक पौधा रोपा था। जो धीरे-धीरे वृक्ष का रूप ले रहा है। भगवान गौतम बुद्ध ने पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर बौधित्व को प्राप्त किया था। अत: बौद्ध धर्म में इस बोधि वृक्ष कहा जाता है। बौद्ध अनुयाईयों के लिए यह पेड़ श्रद्धा और आस्था का केंद्र है।
युनिवर्सिटी पहाड़ी पर रोपा गया था पौधा
21 सितंबर 2012 को इस पहाड़ी पर महिंद्रा राजपक्षे बौद्ध युनिवर्सिटी की आधारशिला रखने आए थे। तब प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ उन्होंने पहाड़ी बोधि वृक्ष (पौधा) रोपा था। तब से आज तक इसकी सुरक्षा की जा रही है। पौधे को लोहे की जालियों से घेरकर सुरक्षित किया गया है। पुलिस के जवान इसकी सुरक्षा में तैनात रहते हैं। पानी का एक टेंकर खड़ा रहता है। पहाड़ी पर किसी भी अंजान व्यक्ति को चडऩे की इजाजत नहीं होती है। हालांकि अभी युनिवर्सिटी के निर्माण की शुरूआत नहीं हुई है, लेकिन अब तक इस वृक्ष की सुरक्षा में लाखों रुपए खर्च किए जा चुके हैं। इस वृक्ष का एक पत्ता भी सूखता है तो प्रशासन में भागदौड़ मच जाती है।
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