नई दिल्ली। शुक्र है अल्लाह दा, देर नाल ही सही पर मेरा पुत्त घर मुड़ आया। कुछ ऐसा ही कहना था मालेरकोटला के मोहल्ला चाने लौहारां में रहने वाली 80 वर्षीय सदीकन का, जो 16 साल से अपने बेटे के घर वापस आने की राह देख रही थी। पिछले करीब 16 साल से पाकिस्तान की जेल कोटलखपत में बंद मालेरकोटला के मोहल्लाचाने लौहारां के रहने वाले गुलाम फरीद बुधवार को सही सलामत घर लौट आया। अपने बेटे के इंतजार में माता सदीकन का रो-रोकर बुरा हाल था। बुधवार को अपने बेटे से मिलकर उसकी आंखों में चमक साफ दिखाई दे रही थी। बातचीत करते हुए गुलाम फरीद ने बताया कि वह 2003 में अपने रिश्तेदारों को मिलने के लिए पाकिस्तान गया था। लेकिन वहां उसका पासपोर्ट एक्सपायर हो गया और पाकिस्तान सरकार ने 13 साल के लिए जेल भेज दिया। इस दौरान उसका अपने घर वालों के साथ कोई संपर्क नहीं हुआ। ऐसे में उसे लगने लगा कि शायद वह अपने घर कभी जिंदा नहीं लौट पाएगा। लेकिन अमृतसर से सांसद गुरजीत सिंह औजला और मालेरकोटला के कांग्रेस के पूर्व ब्लाक अध्यक्ष बेअंत किंगर के प्रयास से वह अपने परिवार से मिल पाया।
गुलाम फरीद की माता सदीकन ने अपने पुत्र की घर वापसी पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि उन्हें तो ऐसा लगता था कि शायद उसका पुत्र इस दुनिया में है ही नहीं, लेकिन जैसे ही पता चला कि वह पाकिस्तान जेल में बंद है तो उनकी खुशी का कोई ठिकाना न रहा। उसने कहा कि पहले उसे पुत्र की जुदाई में भूख नहीं लगती थी और अब पुत्र के मिलने की खुशी में उसकी भूख मर गई है। कांग्रेस नेता बेअंत किंगर ने बताया कि उन्हें जब केस के बारे में पता लगा तो उन्होंने अमृतसर से सांसद गुरजीत सिंह औजला के साथ संपर्क किया, जिन्होंने उनकी बैठक विदेश मंत्रालय के साथ कराई और मामले का समाधान हो पाया। उन्होंने बताया कि गुलाम की सभी सरकारी कार्रवाई पूरी होने के बाद उसे पाकिस्तान सरकार की तरफ से 5 अगस्त 2019 को जीरो लाइन पर हिंद सरकार को सौंपने के लिए लाया गया था, लेकिन बदकिस्मती से उस दिन कश्मीर में से धारा 370 हटाए जाने के कारण गुलाम फरीद को दोबारा पाकिस्तान वापस कर दिया गया। गुलाम फरीद की घर वापसी की सूचना मिलते ही उसके रिश्तेदारों, दोस्तों और मोहल्ला निवासियों का उसके घर तांता लगा था।
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