भानू प्रताप
गढ़ीपुख्ता। रामलीला महोत्सव मंचन में रामचंद्र जी सीता को अपनी कुटिया में ना पाकर सुख ग्रस्त हो जाते हैं।वे पौधों एवं पशु पक्षियों से सीता के बारे में पूछते हैं।सीता को ढूंढते हुए उन्हें घायल जटायु दिखाई पड़ता है और जटायु बताता है।कि एक राक्षस सीता को उठाकर ले गया है उसने उनके पंख काट दिए रामजी जटायु का अंतिम संस्कार करते हैं। श्री मुख पर्वत पर हनुमान जी ब्राह्मण का वेश बनाकर राम-लक्ष्मण से परिचय प्राप्त करते हैं और राम सुग्रीव की मित्रता कराते हैं सुग्रीव सारा वृतांत सुनाते हैं राम चंद्र जी सुग्रीव को बाली से युद्ध के लिए भेजते हैं और दूसरी बार में बाली का वध कर देते हैं। पंपापुर का राज्य वापस मिलने पर सॉरी विलासिता में व्यस्त हो जाते हैं और 1 माह तक प्रभु श्री राम की ओर सुध नहीं लेते क्रोध में लक्ष्मण जी पंपापुर को जला डालने का एलान करते हैं। तब सुख भी भगवान श्रीराम से माफी मांगते हैं और बहुत शीघ्र सीता का पता लगाने के लिए कहते हैं।इस अवसर पर नरेश सैनी रामपाल सिंह राजेंद्र शर्मा टेकचंद मित्तल कमेटी अध्यक्ष नीरज जैन, चरण सिंह,राजवीर सिंह, मेनपाल सैनी, नरेश गोस्वामी, राजेंद्र सैनी, प्रदीप सिंघल,ऋषि पाल सैनी आदि उपस्थित रहे। रामलीला में दिन-प्रतिदिन दर्शकों की लगातार संख्या बढ़ रही है देहाती ग्रामीण रामलीला देखने आ रहे हैं।
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