अयोध्या केस: मुस्लिम पक्ष ने सीलबंद लिफाफे में दिया जवाब, हिंदू पक्ष ने जताई आपत्ति
नई दिल्ली! अयोध्या विवाद पर सुनवाई खत्म हो चुकी है और 17 नवंबर तक फैसले की उम्मीद है। लेकिन उससे पहले सुप्रीम कोर्ट में मॉल्डिंग ऑफ रिलीफ के तहत विवाद से जुड़े सभी पक्षकारों ने अपना-अपना प्रस्ताव या यूं कहें कि जवाब सीलबंद लिफाफे में रख दिया है। हालांकि, सीलबंद लिफाफे में जवाब दाखिल करने पर हिंदू पक्षकारों ने आपत्ति भी जताई है।
रामलला विराजमान और हिंदू महासभा ने इस मामले में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के सेकेट्री जरनल को पत्र लिखकर शिकायत की है। जिसमें उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने अपने आदेश में कहीं नहीं कहा कि मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर जवाब सील कवर में दाखिल किया जाए। ऐसे में सुन्नी वक्फ बोर्ड के जवाब को स्वीकार ना किया जाए और न ही इसे पांच सदस्यीय पीठ के सामने रखा जाए।
हिंदू पक्ष की ओर से निर्मोही अखाड़ा ने रामलला या किसी भी हिन्दू पक्षकार के पक्ष में फैसला होने पर अपने सेवायत अधिकार को बरकरार रखे जाने की बात कही है। विवादित भूमि पर मंदिर बनाने के साथ ही रामलला की सेवा पूजा और व्यवस्था की जिम्मेदारी का भी अधिकार हो। वहीं, रामलला विराजमान ने लिखा है कि राम मंदिर के लिए सारा क्षेत्र उसे दिया जाए। निर्मोही अखाड़ा या मुस्लिम पार्टियों को जमीन का कोई हिस्सा नहीं मिलना चाहिए।
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